भारत में पहली बार डिजिटल जनगणना, नागरिक खुद दर्ज कर सकेंगे जानकारी

देश में होने वाली अगली जनगणना को लेकर केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। यह जनगणना पूरी तरह डिजिटल माध्यम से की जाएगी, जिसमें आम लोग भी अपनी जानकारी स्वयं ऑनलाइन दर्ज कर सकेंगे। इसके लिए विशेष वेब पोर्टल और मोबाइल एप्लिकेशन की शुरुआत की जाएगी, जिसके माध्यम से आंकड़े सीधे सरकार के केंद्रीय डाटा सर्वर तक सुरक्षित रूप से पहुंचेंगे।

परंपरागत पद्धति की जगह डिजिटल प्रक्रिया

अब तक जनगणना में सरकारी कर्मचारी घर-घर जाकर कागजी फॉर्म के जरिए आंकड़े जुटाते थे। लेकिन इस बार पूरी प्रक्रिया को डिजिटल रूप में संचालित किया जाएगा। पहली बार मोबाइल ऐप और वेब पोर्टल के ज़रिए जनसंख्या से जुड़ी जानकारियाँ सीधे नागरिकों से प्राप्त की जाएंगी, जिससे प्रक्रिया अधिक तेज़, सटीक और पारदर्शी बन सकेगी।

दो चरणों में होगी जनगणना, लोग स्वयं भर सकेंगे विवरण

सरकार के अनुसार जनगणना दो भागों में आयोजित की जाएगी। पहला चरण ‘हाउस लिस्टिंग एंड हाउसिंग सेंसस’ होगा, जिसमें आवासों से जुड़ी जानकारी इकट्ठा की जाएगी। दूसरा चरण ‘पॉपुलेशन एनुमरेशन’ का होगा, जिसमें जनसंख्या, जाति और अन्य अहम विवरण दर्ज किए जाएंगे। नागरिकों को इन दोनों चरणों में पोर्टल पर स्वयं जानकारी भरने का विकल्प मिलेगा।

जनगणना की समय-सारणी घोषित

अगली जनगणना वर्ष 2026 और 2027 में दो चरणों में संपन्न होगी। पहला चरण 1 अप्रैल 2026 से प्रारंभ होगा, जबकि दूसरा चरण 1 फरवरी 2027 से शुरू किया जाएगा। इसे लेकर केंद्र सरकार ने 16 जून 2024 को आधिकारिक अधिसूचना जारी की थी। यह जनगणना स्वतंत्र भारत की आठवीं तथा अब तक की कुल 16वीं जनगणना होगी।

34 लाख कर्मियों को दी जाएगी विशेष प्रशिक्षण

इतने व्यापक कार्य के लिए केंद्र ने लगभग 34 लाख कर्मचारियों की नियुक्ति की है। इन्हें तीन स्तरों पर प्रशिक्षण दिया जाएगा—राष्ट्रीय ट्रेनर, मास्टर ट्रेनर और फील्ड स्तर के प्रशिक्षक। देशभर के गांवों और शहरी क्षेत्रों को छोटे-छोटे खंडों में विभाजित कर प्रत्येक खंड की जिम्मेदारी एक कर्मचारी को सौंपी जाएगी ताकि कोई परिवार या व्यक्ति गिनती से छूट न जाए।

सीमा निर्धारण की अंतिम तिथि तय

सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सूचित किया है कि यदि वे जिलों, तहसीलों या थाना क्षेत्रों की सीमाओं में कोई परिवर्तन करना चाहते हैं, तो 31 दिसंबर 2025 तक वह प्रक्रिया पूरी कर लें। इसके पश्चात वही सीमाएं अंतिम मानी जाएंगी। सीमाओं के स्थिरीकरण के तीन माह बाद ही जनगणना प्रारंभ की जा सकेगी, जिससे आंकड़ों में कोई विसंगति न रहे।

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