लगातार व्यवधानों से जूझ रहे संसद के शीतकालीन सत्र को प्रभावी ढंग से संचालित करने के लिए केंद्र सरकार ने राजनीतिक दलों से संवाद बढ़ाने की पहल शुरू कर दी है। एएनआई के सूत्रों के अनुसार, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने 30 नवंबर को सर्वदलीय बैठक बुलाई है, जिसमें विपक्ष को साथ लेकर आगामी सत्र के एजेंडे पर सहमति बनाने की कोशिश की जाएगी।
शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर से शुरू हो रहा है और सरकार इस दौरान कुल 10 विधेयक पेश करने की योजना में है। इनमें सबसे महत्वपूर्ण ‘परमाणु ऊर्जा विधेयक, 2025’ बताया जा रहा है, जो देश के नागरिक परमाणु क्षेत्र को निजी उद्योगों के लिए खोलने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। अभी तक यह क्षेत्र पूर्ण रूप से सरकारी नियंत्रण में है। सरकार का तर्क है कि नया कानून परमाणु ऊर्जा ढांचे को आधुनिक बनाएगा और उत्पादन क्षमता व तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देगा।
उच्च शिक्षा में बड़े बदलाव का भी रोडमैप तैयार किया गया है। सत्र के एजेंडे में ‘हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया’ विधेयक शामिल है, जिसके जरिए विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों को अधिक स्वायत्तता देने, मान्यता प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने और संस्थानों को अधिक आत्मनिर्भर करने का लक्ष्य है। यह प्रस्ताव लंबे समय से सरकार की योजना में शामिल रहा है और अब इसे आगे बढ़ाया जा रहा है।
सड़क, कॉरपोरेट और बाजार नियमन से संबंधित पुराने कानूनों को आधुनिक बनाने के लिए भी कई संशोधन प्रस्तावित हैं।
मुख्य विधेयकों में शामिल हैं:
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नेशनल हाईवेज (संशोधन) विधेयक: राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को तेज और सरल बनाने का उद्देश्य।
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कॉरपोरेट लॉज (संशोधन) विधेयक, 2025: कंपनी अधिनियम 2013 और एलएलपी एक्ट 2008 में बदलाव कर ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ को बढ़ावा देना।
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सिक्योरिटीज मार्केट्स कोड (एसएमसी) विधेयक, 2025: सेबी, डिपॉजिटरी और प्रतिभूति अनुबंध विनियमन कानूनों को एकीकृत कर बाजार नियमन को सरल और एकसमान बनाना।
सरकार मध्यस्थता और सुलह अधिनियम में भी सुधार पर काम कर रही है। इसके लिए एक समिति को समीक्षा का जिम्मा सौंपा गया है, ताकि सुप्रीम कोर्ट की हालिया टिप्पणियों और सेक्शन 34 में संशोधन की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए नया विधेयक तैयार किया जा सके।