नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) की याचिका पर चुनाव आयोग से जवाब मांगने से इंकार कर दिया। एनजीओ ने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान मतदाताओं के नाम हटाने के आरोपों को लेकर चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया अदालत में पेश करने की मांग की थी।
मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमलिया बागची की पीठ ने एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स को पहले तथ्यों के आधार पर हलफनामा दाखिल करने के निर्देश दिए। कोर्ट ने कहा कि केवल मीडिया रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया मांगना गलत मिसाल बनेगा।
चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने अदालत में कहा कि मीडिया रिपोर्ट में लगाए गए आरोप तथ्यात्मक रूप से गलत हैं। उन्होंने बताया कि बिहार में एसआईआर के लिए जारी नोटिस स्थानीय जिला चुनाव अधिकारियों की ओर से ही भेजे गए थे, न कि सीधे केंद्रीय स्तर से। उन्होंने कहा कि अगर एनजीओ आरोप को आगे बढ़ाना चाहता है, तो उसे हलफनामे के माध्यम से सबूत पेश करना होगा।
एनजीओ के अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट में गंभीर आरोप लगे हैं कि एसआईआर के दौरान नियमों का पालन नहीं किया गया और मतदाताओं को सीधे नोटिस भेजे गए। हालांकि सीजेआई ने स्पष्ट किया कि अदालतें मीडिया रिपोर्टों के आधार पर किसी पक्ष को जवाब देने का निर्देश नहीं दे सकती हैं।
बता दें कि बिहार में एसआईआर के लिए चुनाव आयोग ने 24 जून को नोटिस जारी किया था, जिसकी संवैधानिक वैधता को इसी एनजीओ ने चुनौती दी थी।