मालेगांव बम धमाके से जुड़े बहुचर्चित मामले में एक अहम मोड़ उस समय आया जब एक गवाह ने विशेष अदालत के समक्ष कहा कि महाराष्ट्र एटीएस ने उस पर बयान में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम लेने के लिए दबाव डाला था। गुरुवार को विशेष एनआईए अदालत के जज ए.के. लोहाटी ने इस मामले में सभी सात आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए रिहा कर दिया।
अदालत ने गवाह के बयान पर जताई शंका
फैसले में अदालत ने स्पष्ट किया कि जिस गवाह ने योगी आदित्यनाथ और अन्य नामों का जिक्र किया था, वह बयान स्वेच्छा से नहीं दिया गया था। चूंकि गवाह ने खुद यह बात अदालत में कही कि वह बयान दबाव में दिया गया था, इसलिए उसकी निष्पक्षता और प्रामाणिकता संदिग्ध हो जाती है।
हजार पन्नों के फैसले में सामने आईं कई अहम बातें
शुक्रवार को अदालत के फैसले की 1000 पन्नों की कॉपी उपलब्ध हुई, जिसमें गवाह मिलिंद जोशीराव से हुई पूछताछ का विवरण दर्ज है। अक्तूबर 2008 में महाराष्ट्र एटीएस ने मिलिंद से दक्षिणपंथी संगठन अभिनव भारत की गतिविधियों और रायगढ़ किले में हुई एक बैठक के बारे में सवाल किए थे। कथित तौर पर इसी बैठक में हिन्दू राष्ट्र की शपथ ली गई थी।
गवाह ने लगाया नाम लेने के लिए धमकाने का आरोप
गवाह मिलिंद ने अदालत को बताया कि एटीएस ने उससे ऐसे व्यवहार किया जैसे वह खुद आरोपी हो। उन्होंने दावा किया कि एटीएस ने उनसे योगी आदित्यनाथ, असीमानंद, इंद्रेश कुमार, देवधर, प्रज्ञा ठाकुर और काकाजी का नाम लेने को कहा था। इतना ही नहीं, एटीएस अधिकारियों ने यह भी कहा कि अगर वह इन नामों को बयान में शामिल कर लेता है तो उसे छोड़ दिया जाएगा।
मिलिंद ने आगे बताया कि जब उसने ऐसा करने से इनकार किया तो उसे तत्कालीन डीसीपी श्रीराव और एसीपी परमबीर सिंह द्वारा प्रताड़ित किए जाने की धमकी दी गई। उसका यह भी कहना था कि बयान के शब्द तक एटीएस ने लिखकर दिए थे।
अदालत ने गवाही को विश्वसनीय नहीं माना
विशेष न्यायालय ने कहा कि ऐसे बयान जिनमें मर्जी शामिल न हो और जो दबाव में दिए गए हों, उन्हें कानूनी रूप से भरोसेमंद नहीं माना जा सकता। इसी आधार पर अदालत ने गवाह की गवाही को अस्वीकार कर दिया और सबूतों के अभाव में सभी सातों आरोपियों को बरी कर दिया।
गौरतलब है कि सितंबर 2006 में नासिक के मालेगांव में हुए धमाके में छह लोगों की मौत हो गई थी और 101 अन्य घायल हुए थे। इस मामले में जिन लोगों को आरोपी बनाया गया था, उनमें पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और सेना के अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित भी शामिल थे।