राज्यसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के दौरान एक ऐसा क्षण भी आया जब बीजेपी सांसद जेपी नड्डा को अपने बयान पर सफाई देनी पड़ी। मामला तब बढ़ा जब नड्डा ने कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे के एक वक्तव्य पर प्रतिक्रिया देते हुए टिप्पणी की कि लंबे समय से विपक्ष में रहने के कारण कांग्रेस अपना मानसिक संतुलन खो बैठी है। इस टिप्पणी पर कांग्रेस सदस्यों ने कड़ा विरोध जताया और सदन में हंगामा शुरू हो गया।
स्थिति को संभालते हुए नड्डा ने अपने शब्द वापस लेते हुए कहा कि उनका उद्देश्य किसी की मानसिक स्थिति पर सवाल उठाना नहीं था, बल्कि वह केवल यह कहना चाहते थे कि खरगे ने जो बातें कही हैं, वे उनके कद और उनकी पार्टी की गरिमा के अनुकूल नहीं थीं।
खरगे ने उठाया लोकतांत्रिक जवाबदेही का मुद्दा
इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बहस में भाग लेते हुए 1962 के भारत-चीन युद्ध का उदाहरण देते हुए कहा कि उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने विपक्ष की मांग पर संसद का विशेष सत्र बुलाया था और स्पष्ट कहा था कि देश की जनता से कुछ भी छिपाना नहीं चाहिए। उन्होंने मौजूदा सरकार पर आरोप लगाया कि अब न तो विशेष सत्र बुलाए जाते हैं और न ही जनता के सामने पारदर्शिता रखी जाती है।
खरगे ने कहा कि जब सर्वदलीय बैठक होती है, तो प्रधानमंत्री व्यस्तताओं का हवाला देकर शामिल नहीं होते, जबकि विपक्ष के सवालों के जवाब देना लोकतांत्रिक परंपरा का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि अगर प्रधानमंत्री में विपक्ष की बात सुनने की इच्छा नहीं है, तो फिर उस पद पर बने रहना अनुचित है।
खरगे बोले– एक दिन टूटेगा अहंकार
कांग्रेस नेता ने पहलगाम हमले का ज़िक्र करते हुए बताया कि 22 अप्रैल के इस आतंकी हमले के बाद उन्होंने और नेता विपक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर विशेष सत्र बुलाने की मांग की थी, लेकिन उसका कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री विपक्ष के पत्रों को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं, जबकि जनता से घुलने-मिलने में कोई कसर नहीं छोड़ते। खरगे ने कहा, “एक दिन आपका यह अहंकार टूटेगा।”