जातिगत जनगणना न कराना मेरी व्यक्तिगत चूक थी, अब उसे सुधारूंगा: राहुल गांधी

नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित ‘ओबीसी नेतृत्व भागीदारी न्याय सम्मेलन’ में जातिगत जनगणना को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने स्वीकार किया कि कांग्रेस के सत्ता में रहते जाति आधारित जनगणना न कराना एक बड़ी चूक थी और उन्होंने इसे अपनी व्यक्तिगत गलती करार दिया। राहुल ने स्पष्ट कहा कि अब वे इस भूल को सुधारने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

अपने संबोधन में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधा और कहा कि मीडिया ने उन्हें “गुब्बारे” की तरह फुला दिया है, जबकि वास्तविकता में उनमें कोई ठोस क्षमता नहीं है। राहुल ने कहा, “मैं उनसे मिल चुका हूं। अब समझ में आ गया है कि असल में वो केवल एक शो हैं, जिनमें कोई दम नहीं।”

ओबीसी मुद्दों को देर से समझा, अब उन्हें प्राथमिकता दूंगा

राहुल गांधी ने आत्ममंथन करते हुए कहा कि उन्होंने राजनीतिक जीवन के शुरुआती वर्षों में ओबीसी समाज की समस्याओं को गहराई से नहीं समझा, जो उनकी एक बड़ी कमी रही। उन्होंने कहा, “आदिवासी और दलित समाज की चुनौतियां समझ आ गई थीं, लेकिन ओबीसी वर्ग के मुद्दे अधिकतर छिपे हुए होते हैं और तत्काल स्पष्ट नहीं होते। यदि मुझे तब यह समझ होती तो जातिगत जनगणना बहुत पहले हो चुकी होती। यह गलती कांग्रेस की नहीं, मेरी अपनी है।”

90% आबादी है वंचित, लेकिन भागीदारी में अनुपस्थित

राहुल गांधी ने कहा कि देश की कुल आबादी में दलित, पिछड़ा, आदिवासी और अल्पसंख्यक वर्ग लगभग 90 फीसदी है, लेकिन जब बजट तैयार होता है और “हलवा” बंटता है, तब इस 90 फीसदी का कोई प्रतिनिधित्व नहीं होता। उन्होंने कहा, “जो लोग मेहनत करते हैं, वही वंचित रहते हैं। यह अन्याय है। हम यह नहीं कहते कि बाकी लोग न खाएं, लेकिन हिस्सा तो सबको मिलना चाहिए।”

तेलंगाना मॉडल को बताया मिसाल

तेलंगाना में कांग्रेस सरकार द्वारा की गई जातिगत गणना का उल्लेख करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि 21वीं सदी डेटा की है और जाति आधारित आंकड़ों से यह साफ हुआ है कि एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग का कॉरपोरेट व प्रशासनिक हिस्सेदारी में प्रतिनिधित्व नगण्य है, जबकि मनरेगा या गिग वर्क जैसी योजनाओं में वही वर्ग बहुसंख्यक हैं।

जनगणना केवल शुरुआत है, लक्ष्य है न्यायसंगत भागीदारी

उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना केवल एक शुरुआत है, उनका असली लक्ष्य इन समुदायों को सम्मान के साथ नीति निर्माण और संसाधनों में हिस्सेदारी दिलाना है। उन्होंने मंच से यह भी स्पष्ट किया कि जब वे किसी काम का निश्चय करते हैं, तो उसे बीच में नहीं छोड़ते।

खरगे ने एसआईआर को बताया जनविरोधी नीति

इस सम्मेलन में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी शिरकत की और ‘एसआईआर’ (सस्पेक्टेड इलैक्टोरल रोल) प्रक्रिया पर सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह केवल बिहार ही नहीं, बल्कि पूरे देश में लागू किया जा रहा है ताकि ओबीसी, एससी, एसटी और गरीब तबकों को मताधिकार से वंचित किया जा सके।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here