प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर घर जल पहुंचाने की केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना, जल जीवन मिशन, के कार्यान्वयन में सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। पीएम ने अधिकारियों को साफ कहा कि इस योजना में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उनका स्पष्ट संदेश है कि सिर्फ कनेक्शन देना पर्याप्त नहीं, बल्कि पाइपलाइन के माध्यम से हर घर तक लगातार पानी पहुंचना अनिवार्य है।

हाल ही में हुई समीक्षा बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि पहले योजना में आई शिकायतों और गड़बड़ियों को ठीक करना जरूरी है। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि भ्रष्टाचार करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए, तभी आगे का फंड जारी किया जाएगा। पीएम ने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का भी कहा कि योजना का प्रत्येक गांव और बस्ती में पाइप से पानी पहुंचे।

शिकायतें और गड़बड़ियों का पूरा लेखा-जोखा
जल जीवन मिशन की शुरुआत 15 अगस्त 2019 को हुई थी, लेकिन योजना के कार्यान्वयन को लेकर लगातार शिकायतें सामने आई हैं। कोविड-19 के दौरान भी कई जगहों पर पाइपलाइन और टंकी बनने के बाद पानी नियमित रूप से नहीं पहुंच रहा था। 2022-24 की जांच में पाया गया कि 14-16% स्थानों पर पानी नहीं आ रहा था, कई जगह पाइप की गुणवत्ता कमज़ोर थी या उन्हें सही तरीके से नहीं लगाया गया।

पीएम मोदी ने अधिकारियों को जमीन पर जाकर हर शिकायत और गड़बड़ी की जांच करने का निर्देश दिया। इसके तहत सेंट्रल नोडल ऑफिसर्स (CNOs) को राज्यों में भेजकर फील्ड जांच करवाई गई और रिपोर्ट उन्हें सौंपी गई। अब तक की जांच में 579 अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई, 12 का निलंबन, 531 पर जुर्माना, 236 ठेकेदार ब्लैकलिस्ट, 116 कांट्रैक्ट रद्द, और 9 FIR दर्ज की जा चुकी हैं। इसके अलावा एक पूर्व मंत्री सहित 18 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया।

डिजिटल निगरानी से योजना को पारदर्शी बनाया गया
आगे की गड़बड़ियों को रोकने के लिए डिजिटल ट्रैकिंग और मॉनिटरिंग सिस्टम विकसित किया गया है। इसमें प्रत्येक गाँव की पाइपलाइन की यूनिक आईडी बनाई गई है और ठेकेदारों द्वारा लगाए गए पैकेज ट्रैक किए जाएंगे। 720 जिलाधिकारियों को डैशबोर्ड एक्सेस मिलेगा। वहीं, ग्रामीण ‘मेरी पंचायत ऐप’ के माध्यम से भी योजना की जानकारी देख सकेंगे।

काम जारी, फंडिंग अब डेटा आधारित
जल जीवन मिशन के तहत लगभग 6 लाख से अधिक गांवों में काम चल रहा है। अब तक इस पर कुल ₹4.33 लाख करोड़ खर्च हो चुका है, जबकि अतिरिक्त ₹73,000 करोड़ का आवंटन राज्य सरकारों की रिपोर्ट के बाद जारी होगा। केंद्र सरकार ने यह भी तय किया है कि अब फंड लंपसम नहीं, बल्कि योजना-आधारित और डिजिटल डेटा पर आधारित जारी किया जाएगा।