नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भारतीय सांख्यिकी संस्थान (आईएसआई) में बढ़ते राजनीतिक और विचारधारा आधारित हस्तक्षेप को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि देश के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान को किसी विचारधारा के दबाव में नहीं आना चाहिए और यह केवल ज्ञान और विज्ञान पर आधारित होना चाहिए।

आईएसआई के छात्रों से मुलाकात में उठाए सवाल
राहुल गांधी ने यह टिप्पणी संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान अपने ‘जन संसद’ कार्यक्रम के तहत आईएसआई के छात्रों से मुलाकात के दौरान की। उन्होंने इस बातचीत का वीडियो अपने व्हाट्सऐप चैनल पर भी साझा किया। छात्रों ने बताया कि संस्थान में अकादमिक निर्णयों और पाठ्यक्रम निर्धारण में अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का दखल बढ़ता जा रहा है। उनके अनुसार, यह वही चिंता है जो देश के अन्य शिक्षण संस्थानों के छात्र और शिक्षक पहले से व्यक्त कर रहे हैं।

गंभीर आरोप और चेतावनी
राहुल गांधी ने कहा कि आईएसआई कोई सामान्य संस्थान नहीं है। यह संस्थान आंकड़े, गणित, अर्थशास्त्र, डेटा साइंस, कंप्यूटर साइंस और नीति निर्माण जैसे क्षेत्रों में उच्च स्तरीय शोध करता है और देश को विश्वस्तरीय विशेषज्ञ देता रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि अकादमिक परिषदों में अब नौकरशाही और विचारधारा का हस्तक्षेप बढ़ गया है। पाठ्यक्रम और शोध पर भी आरएसएस की विचारधारा थोपने की कोशिश की जा रही है।

शिक्षा संस्थानों को कमजोर करने की साजिश
राहुल गांधी ने इसे शिक्षा सुधार नहीं बल्कि शिक्षा और संस्थानों को कमजोर करने की साजिश करार दिया। उनका कहना था कि इससे युवाओं का भविष्य अंधकार में जाएगा और आगे चलकर इन संस्थानों का निजीकरण या उनकी संपत्ति बेची जा सकती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह हमला केवल संस्थानों पर नहीं, बल्कि देश की बौद्धिक आज़ादी, वैज्ञानिक सोच और युवाओं के भविष्य पर है।

राहुल गांधी ने दोहराया कि कांग्रेस इस दिशा में किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगी। उनका कहना था, "शिक्षा को आज़ादी चाहिए और हमारे संस्थान ज्ञान, विज्ञान और स्वतंत्र सोच पर आधारित होने चाहिए, किसी भी विचारधारा के प्रभाव से नहीं।"