मुजफ्फरनगर | दिल्ली से आने वाले आरडीएफ कचरे को बिना फिल्टर के पेपर मिलों में जलाए जाने के विरोध में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) का धरना बिंदल पेपर मिल के बाहर देर रात तक चलता रहा। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि इस कचरे के जलने से जिले में प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी आंख मूंदे बैठे हैं।
धरने में कुश्ती कोच जितेंद्र कुमार सहित कई लोग शामिल हुए। प्रदूषण पर नियंत्रण न होने और प्रशासनिक उदासीनता के विरोध में कुछ कार्यकर्ता ठंड के बीच अर्धनग्न होकर प्रदर्शन करने लगे, जिससे माहौल और गरमा गया। सूचना मिलने पर देर रात एसडीएम और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी मौके पर पहुंचे। अधिकारियों ने बाहर से आए कचरा वाहनों को वापस भेजने और उनके चालान की कार्रवाई का आश्वासन दिया, जिसके बाद धरना समाप्त कराया गया।
भाकियू पदाधिकारियों का कहना है कि मुजफ्फरनगर की कई पेपर मिलों में दिल्ली से भारी मात्रा में कचरा लाया जा रहा है, जिसे आरडीएफ के नाम पर ईंधन के रूप में जलाया जा रहा है। इससे न सिर्फ वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, बल्कि आम लोगों के स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर पड़ रहा है। उन्होंने पेपर मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सहित कुछ प्रभावशाली मिल संचालकों पर नियमों की अनदेखी करने का आरोप लगाया।
धरने के दौरान भाकियू कार्यकर्ताओं ने कई कचरा वाहनों को रास्ते में ही रोक लिया और उन्हें मिल परिसर में प्रवेश नहीं करने दिया। इससे मिल संचालकों में हड़कंप मच गया। पर्यावरण संरक्षण से जुड़े कुछ लोग भी मौके पर पहुंचे और जिला प्रशासन व प्रदूषण विभाग पर प्रतिबंधित कचरा जलने से न रोक पाने का आरोप लगाया।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि बार-बार शिकायतों के बावजूद कार्रवाई न होने से प्रशासन की भूमिका संदिग्ध हो रही है। वहीं, अधिकारियों ने दावा किया कि जिले में बाहरी कचरे की आवाजाही पर सख्ती की जाएगी और नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होगी। हालांकि, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से पर्यावरण क्षतिपूर्ति शुल्क वसूली से जुड़े आंकड़े सार्वजनिक न किए जाने को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।