सांसद और अभिनेता रवि किशन ने बुधवार को लोकसभा में शून्यकाल के दौरान भोजन की दरों में एकरूपता लाने के लिए कानून बनाए जाने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने सरकार से मांग की कि देशभर के ढाबों, होटलों और रेस्टोरेंट में परोसे जाने वाले खाने-पीने की वस्तुओं की कीमत, गुणवत्ता और मात्रा तय करने के लिए एक स्पष्ट नीति बनाई जाए।
उन्होंने कहा कि भारत में कस्बों से लेकर महानगरों तक लाखों ढाबे और होटल संचालित हो रहे हैं, जहां प्रतिदिन करोड़ों लोग भोजन करते हैं। लेकिन अलग-अलग स्थानों और प्रतिष्ठानों में एक ही खाद्य वस्तु की कीमत और मात्रा में भारी भिन्नता देखने को मिलती है।
समोसे से किया मुद्दे का उदाहरण
रवि किशन ने उदाहरण देते हुए कहा कि समोसा कहीं सस्ते दाम में मिलता है, तो कहीं वही समोसा महंगे दाम पर मिलता है। इसके साथ ही समोसे का आकार और मात्रा भी अलग-अलग होती है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब करोड़ों उपभोक्ताओं का यह विशाल बाजार बिना किसी मानकीकरण के चल रहा है, तो इसकी निगरानी के लिए अब तक कोई नियम क्यों नहीं बना?
प्रधानमंत्री से की हस्तक्षेप की अपील
बीजेपी सांसद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई क्षेत्रों में सुधार और मानकीकरण लागू किया है, लेकिन खाद्य सेवा क्षेत्र अभी तक इससे अछूता है। उन्होंने आग्रह किया कि सड़क किनारे ढाबों से लेकर पांच सितारा होटलों तक सभी जगहों पर परोसे जाने वाले व्यंजनों की कीमत, गुणवत्ता और मात्रा को तय करने वाला कानून बनाया जाए, जिससे उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर गुणवत्तापूर्ण भोजन मिल सके।
“एक जैसी दाल, लेकिन अलग-अलग दाम”
रवि किशन ने कहा कि कहीं तड़का दाल 100 रुपये में मिल रही है, तो कहीं वही दाल 1000 रुपये में। उन्होंने सवाल उठाया कि जब रेसिपी और सामग्री एक जैसी है, तो मूल्य में इतना अंतर क्यों? उन्होंने सरकार से अपील की कि इस असमानता को दूर करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं और भोजन की दरों के लिए एक राष्ट्रीय मानक तय किया जाए।