साइप्रस के जरिये तुर्किये को सख्त संदेश, पीएम मोदी की कूटनीतिक चाल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को तीन देशों की विदेश यात्रा पर रवाना हो गए। इस दौरे की शुरुआत साइप्रस से होगी, जहां पीएम मोदी का यह पहला दौरा होगा। उल्लेखनीय है कि पिछले 23 वर्षों में यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की साइप्रस की पहली आधिकारिक यात्रा है। इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तुर्किये के लिए एक कड़ा संदेश माना जा रहा है।

तुर्किये की हरकतों के बीच साइप्रस दौरे का महत्व
साल 1974 से तुर्किये साइप्रस के एक तिहाई भूभाग पर कब्जा जमाए हुए है, जिसे लेकर दोनों देशों के बीच दशकों से तनाव है। हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान तुर्किये ने पाकिस्तान का खुलकर समर्थन किया और उसे ड्रोन जैसी सैन्य सहायता भी प्रदान की। भारत सरकार इस पूरे घटनाक्रम को गंभीरता से ले रही है और अब प्रधानमंत्री मोदी की साइप्रस यात्रा को तुर्किये के रुख पर भारत की कूटनीतिक प्रतिक्रिया के तौर पर देखा जा रहा है।

साइप्रस और तुर्किये के बीच वर्षों पुराना विवाद
साइप्रस वर्ष 1570 में ओटोमन साम्राज्य के अधीन हुआ, जिसके बाद वहां तुर्की भाषी आबादी का आगमन हुआ। 1960 में ब्रिटेन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद साइप्रस में ग्रीक और तुर्की समुदायों के बीच तनाव बना रहा। 1974 में ग्रीस समर्थित तख्तापलट के बाद तुर्किये ने साइप्रस के उत्तरी हिस्सों पर सैन्य कार्रवाई कर कब्जा कर लिया। संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप के बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है और आज भी उत्तरी साइप्रस पर तुर्किये का नियंत्रण है। इस क्षेत्र को लेकर साइप्रस और तुर्किये के बीच लगातार तनाव बना रहता है।

मोदी की यात्रा: एक रणनीतिक संकेत
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा न केवल द्विपक्षीय रिश्तों को प्रगाढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह उन देशों को भी स्पष्ट संकेत देती है जो भारत विरोधी रुख अपनाते हैं। तुर्किये द्वारा उत्तरी साइप्रस में बार-बार तेल और गैस ड्रिलिंग की कोशिशों पर साइप्रस द्वारा कड़ी प्रतिक्रिया दी गई है। ऐसे में भारत द्वारा साइप्रस के साथ उच्चस्तरीय संवाद को प्राथमिकता देना एक रणनीतिक निर्णय के रूप में देखा जा रहा है।

साइप्रस जाने वाले तीसरे भारतीय प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साइप्रस की यात्रा करने वाले तीसरे भारतीय प्रधानमंत्री बन गए हैं। इससे पहले इंदिरा गांधी ने 1983 में और अटल बिहारी वाजपेयी ने 2002 में इस द्वीप राष्ट्र का दौरा किया था। हालांकि भारत और साइप्रस के बीच राजनयिक संबंध सदैव मजबूत रहे हैं, लेकिन शीर्ष स्तर के दौरों की संख्या कम रही है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 2018 और विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 2022 में साइप्रस की यात्रा की थी।

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