नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक दंपति की शादी को खत्म करते हुए पति को अलग रह रही पत्नी को स्थायी गुजारा भत्ता के रूप में 1.25 करोड़ रुपये देने का आदेश दिया। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि दोनों 2010 से अलग रह रहे हैं और पति ने मार्च 2017 में दूसरी शादी कर ली थी।
पीठ ने टिप्पणी की, “दोनों पक्षों के बीच वैवाहिक संबंध बनाए रखने का कोई आधार नहीं बचा है। विवाह पूरी तरह टूट चुका है।” यह फैसला उस अपील पर आया, जो पति ने मद्रास हाईकोर्ट के अगस्त 2018 के आदेश के खिलाफ दायर की थी। हाईकोर्ट ने पत्नी की याचिका स्वीकार करते हुए पारिवारिक अदालत द्वारा अक्टूबर 2016 में दिए गए तलाक के फैसले को रद्द कर दिया था।
सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि 15 वर्षों से अलग रह रहे दंपति के बीच सुलह की कोई संभावना नहीं है। न तो वैवाहिक संबंध का कोई अंश बचा है और न ही मतभेद सुलझाने की कोई इच्छा। ऐसे में कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए तलाक को उचित ठहराया।
साथ ही, अदालत ने महिला और उसके बेटे के लिए एकमुश्त स्थायी गुजारा भत्ता तय किया। सुनवाई के दौरान यह बात भी सामने आई कि कानूनी प्रक्रिया के दौरान पति ने आर्थिक मदद नहीं दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि पति 1.25 करोड़ रुपये का भुगतान करे, जिससे पत्नी के सभी अन्य दावे निपटाए माने जाएंगे।