महाराष्ट्र के तपोवन क्षेत्र में पेड़ों की कटाई को लेकर चल रहे विवाद के बीच राज्य के मंत्री नितेश राणे की टिप्पणी ने राजनीतिक माहौल को और गर्मा दिया है। राणे ने कहा कि यदि कोई नियम एक धर्म पर लागू होता है, तो वही नियम दूसरे धर्मों पर भी समान रूप से लागू होने चाहिए।
उन्होंने सवाल उठाया कि बकरीद के दौरान बड़ी संख्या में बकरों की कुर्बानी दी जाती है, लेकिन उस समय आवाज़ें नहीं उठतीं, जबकि हिंदू त्योहारों को लेकर तुरंत आपत्तियां सामने आ जाती हैं। राणे के इस बयान ने पहले से चल रही बहस को नया मोड़ दे दिया है।
“सभी के लिए एक समान मानदंड होने चाहिए” — राणे
मंत्री नितेश राणे ने कहा कि तपोवन में पेड़ कटाई पर आपत्ति जताने वाले लोग उसी संवेदनशीलता के साथ बकरीद जैसे अवसरों पर भी सवाल उठाएं। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी टिप्पणी किसी समुदाय को निशाना बनाने के लिए नहीं, बल्कि यह बताने के लिए थी कि पर्यावरण या संवेदनशीलता से जुड़े नियमों में भेदभाव नहीं होना चाहिए।
उनके अनुसार, “यदि पर्यावरण संरक्षण की चिंता है, तो यह सिद्धांत सभी परिस्थितियों पर समान रूप से लागू होना चाहिए।”
विपक्ष का हमला तेज
तपोवन में पेड़ कटाई के फैसले पर विपक्ष पहले से ही सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहा है। पर्यावरण कार्यकर्ता भी इस निर्णय के खिलाफ सोशल मीडिया पर अभियान चला रहे हैं। राणे के नए बयान ने विपक्ष को सरकार पर ‘दोहरे मानदंड’ के आरोप लगाने का एक और आधार दे दिया है।
धार्मिक तुलना पर तीखी प्रतिक्रियाएं
सोशल मीडिया पर कई लोगों ने राणे की टिप्पणी पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि धार्मिक परंपराओं की तुलना करके विवाद को अनावश्यक रूप से भड़काया जा रहा है।
हालांकि राणे का पक्ष है कि उनकी बात समानता और नियमों के एकरूपता के सिद्धांत पर आधारित है, न कि किसी समुदाय की भावना आहत करने पर।