केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) को वित्तीय रूप से मजबूत बनाने पर बल दिया है। रविवार को अहमदाबाद में आयोजित 'सहकारी महासम्मेलन' में उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पैक्स को आर्थिक मजबूती प्रदान करने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं। साथ ही, उन्होंने घोषणा की कि जल्द ही नए पैक्स के पंजीकरण के लिए एक नई नीति लाई जाएगी।
हर पंचायत में होगी पैक्स की स्थापना
अमित शाह ने बताया कि केंद्र सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2029 तक देश की प्रत्येक पंचायत में एक पैक्स की स्थापना हो। इस दिशा में दो लाख नई पैक्स और डेयरी इकाइयों की शुरुआत की जाएगी। इसके साथ ही इन समितियों को 22 अलग-अलग व्यावसायिक गतिविधियों से जोड़ा जाएगा, ताकि उनकी वित्तीय स्थिति मजबूत बनी रहे। शाह ने कहा कि सरकार जल्द ही आर्थिक रूप से कमजोर पैक्स के समाधान और नई समितियों के पंजीकरण के लिए एक स्पष्ट नीति लेकर आएगी।
सहकारिता आंदोलन को पुनर्जीवित करने का प्रयास
शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2021 से सहकारिता आंदोलन को पुनर्जीवित करने के लिए बड़े पैमाने पर प्रयास किए जा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2025 को 'अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष' घोषित किए जाने पर उन्होंने कहा कि सहकारिता का महत्व आज भी उतना ही है जितना 1900 में था। इसी कारण भारत में सहकारिता वर्ष की शुरुआत का निर्णय लिया गया।
डेयरी क्षेत्र में चक्रिय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा
अमित शाह ने बताया कि डेयरी क्षेत्र में आइसक्रीम, चीज़, पनीर निर्माण, दूध को ठंडा रखने और वसा मापने जैसे उपकरणों के निर्माण में सहकारी कंपनियों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इसके अलावा, मरने वाले पशुओं के खाल, हड्डियों और सींगों के उपयोग के लिए भी सहकारी समितियों का गठन किया जाएगा। इस पहल से डेयरी क्षेत्र में चक्रिय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
शाह ने कहा कि जब तक सहकारी समितियों और किसानों तक बदलाव का वास्तविक लाभ नहीं पहुंचेगा, तब तक सहकारिता क्षेत्र को मजबूती नहीं मिल सकती। सरकार का लक्ष्य है कि सहकारिता के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को और अधिक सशक्त बनाया जाए।