तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) ने मंगलवार को निर्वाचन आयोग से अनुरोध किया है कि आंध्र प्रदेश में मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण (एसआईआर) के लिए पर्याप्त समय दिया जाए और यह प्रक्रिया किसी बड़े चुनाव से कम-से-कम छह महीने पहले पूरी की जाए। पार्टी का कहना है कि जो नागरिक पहले से अद्यतन मतदाता सूची में दर्ज हैं, उनसे दोबारा पात्रता सिद्ध करने की अपेक्षा नहीं की जानी चाहिए। यह अपील ऐसे समय पर आई है जब बिहार में इसी तरह की प्रक्रिया को लेकर राजनीतिक विवाद जारी है।
टीडीपी की मुख्य मांगें और सुझाव
टीडीपी ने चुनाव आयोग को भेजे अपने ज्ञापन में स्पष्ट किया है कि मतदाता सूची पुनरीक्षण का उद्देश्य केवल सूचियों का सुधार और नए मतदाताओं का पंजीकरण होना चाहिए, न कि नागरिकता की पुनः जांच। पार्टी ने इस प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए फील्ड अधिकारियों को स्पष्ट दिशा-निर्देश देने की आवश्यकता बताई।
टीडीपी का कहना है कि यदि कोई व्यक्ति पहले से मतदाता सूची में दर्ज है, तो उसे दोबारा अपनी पात्रता साबित करने की जरूरत नहीं होनी चाहिए, जब तक कि उसके नाम पर कोई ठोस आपत्ति या प्रमाण न हो। पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि नाम हटाने की जिम्मेदारी संबंधित अधिकारी या आपत्ति करने वाले की होनी चाहिए, न कि मतदाता की।
समय से शुरुआत और माइग्रेशन पर ध्यान
टीडीपी ने सुझाव दिया कि चूंकि आंध्र प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव 2029 में प्रस्तावित हैं, इसलिए पुनरीक्षण प्रक्रिया अभी से शुरू की जानी चाहिए ताकि समुचित समय मिल सके और प्रक्रिया पारदर्शी ढंग से संपन्न हो सके। पार्टी ने प्रवास कर चुके नागरिकों विशेषकर ग्रामीण और तटीय क्षेत्रों से पलायन कर चुके लोगों को ध्यान में रखते हुए मोबाइल बीएलओ टीमों के गठन की भी सिफारिश की, ताकि अस्थायी पते वाले लोग भी मतदाता सूची में दर्ज हो सकें।
नाम हटाने की प्रक्रिया हो पारदर्शी
टीडीपी ने यह भी मांग की कि यदि किसी मतदाता का नाम सूची से हटाया जाना है, तो उसका स्पष्ट कारण दर्शाया जाए और उस व्यक्ति को अपनी बात रखने का अवसर दिया जाए।
राष्ट्रीय स्तर पर सुधार के सुझाव
टीडीपी ने देशव्यापी मतदाता सूची व्यवस्था में सुधार के लिए भी कई सुझाव दिए हैं:
- हर वर्ष तृतीय-पक्ष (CAG या अन्य एजेंसी) द्वारा मतदाता सूची का ऑडिट।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित टूल्स से डुप्लीकेट नामों की पहचान।
- एक व्यक्ति को एक यूनिक वोटर आईडी देने के लिए आधार कार्ड के उपयोग को बढ़ावा।
- स्याही आधारित सत्यापन के स्थान पर बायोमेट्रिक प्रणाली को अपनाना।
- स्थानीय स्तर पर त्वरित शिकायत निवारण तंत्र की स्थापना।
- सभी मान्यता प्राप्त दलों से बीएलए की नियुक्ति कर पारदर्शिता सुनिश्चित करना।
टीडीपी ने मांग की है कि जिला स्तर पर सूची में नाम जोड़ने और हटाने की जानकारी सार्वजनिक रूप से जारी की जाए और इसके लिए एक रियल टाइम डैशबोर्ड विकसित किया जाए। साथ ही प्रत्येक महीने राजनीतिक दलों के साथ समीक्षा बैठकें आयोजित की जाएं, विशेषकर जिलाधिकारी और ईआरओ स्तर पर। प्रवासी मजदूरों, आदिवासी, बुजुर्गों और बेघर लोगों के लिए विशेष अभियान भी चलाए जाएं ताकि उन्हें भी मतदान प्रक्रिया से जोड़ा जा सके।