देश के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई के महाराष्ट्र दौरे के दौरान प्रोटोकॉल का पालन नहीं हुआ, जिससे उन्होंने चिंता जताई। मुंबई पहुंचने पर राज्य के मुख्य सचिव, डीजीपी और मुंबई पुलिस कमिश्नर जैसे अधिकारी उनकी अगवानी के लिए मौजूद नहीं थे। इस घटना पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी प्रतिक्रिया दी और कहा कि वह भी ऐसी स्थितियों का सामना कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि कई मौकों पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की तस्वीरें तो दिखाई जाती हैं, लेकिन उपराष्ट्रपति की तस्वीरें नहीं दिखाई जातीं।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश का यह मामला व्यक्तिगत नहीं है बल्कि देश की न्यायिक प्रणाली के सम्मान से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि प्रोटोकॉल का पालन करना एक मौलिक सिद्धांत है और इस पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि जांच में तेजी लाई जानी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए एक मिसाल कायम हो।
धनखड़ ने कहा कि हमें न्यायपालिका का सम्मान बनाए रखने की आवश्यकता है और न्यायाधीश कठिन परिस्थितियों में कार्य करते हैं। उन्होंने इस मामले में त्वरित कार्रवाई की मांग की ताकि न्यायिक संस्थाओं की गरिमा बरकरार रहे।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र-गोवा बार काउंसिल की ओर से सुप्रीम कोर्ट के नवनियुक्त मुख्य न्यायाधीश गवई के सम्मान में एक समारोह आयोजित किया गया था। लेकिन महाराष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारी वहां मौजूद नहीं थे। इस पर सीजेआई ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि लोकतंत्र के तीन स्तंभ—न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका—समान हैं और एक-दूसरे के प्रति सम्मान का भाव रखना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा कि प्रोटोकॉल में कुछ भी नया नहीं है। यह संवैधानिक संस्थाओं के बीच परस्पर सम्मान का विषय है। यदि राज्य के वरिष्ठ अधिकारी उनकी अगवानी के लिए मौजूद नहीं रहते, तो यह विचार करने का विषय है।