जन सुराज के विधानसभा मार्च में बवाल, पुलिस से झड़प में कई कार्यकर्ता घायल

पटना में बुधवार को जन सुराज पार्टी के विधानसभा घेराव मार्च के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव हो गया। प्रशांत किशोर के नेतृत्व में निकली इस रैली को चितकोहरा गोलंबर के पास पुलिस ने रोक दिया, जिसके बाद हालात तनावपूर्ण हो गए। भीड़ को काबू में करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिसमें कई कार्यकर्ता घायल हो गए। दोपहर एक बजे तक भी प्रदर्शनकारी न तो विधानसभा के निकट पहुँच सके और न ही निर्धारित धरनास्थल तक।

प्रशांत किशोर को चितकोहरा में रोका गया
सुबह 11 बजे प्रशांत किशोर के विधानसभा की ओर कूच करने की योजना थी, लेकिन पुलिस ने उन्हें बेली रोड होते हुए चितकोहरा गोलंबर पर ही रोक दिया। इसी दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच तीखी बहस हुई और मामला हाथापाई तक जा पहुंचा। स्थिति बेकाबू होते देख पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा, जिससे भगदड़ की स्थिति बन गई।

तीन प्रमुख मांगों को लेकर हुआ था प्रदर्शन
जन सुराज पार्टी का यह विरोध तीन बड़े मुद्दों को लेकर आयोजित किया गया था:

  1. गरीब युवाओं को रोजगार हेतु घोषित दो लाख रुपये की सहायता अब तक क्यों नहीं दी गई?
  2. भूमिहीन दलित परिवारों को तीन डिसमिल जमीन देने का वादा क्यों अधूरा है?
  3. भूमि सर्वेक्षण में व्याप्त अनियमितताओं पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही?

इन मुद्दों को लेकर पार्टी की ओर से एक करोड़ से अधिक हस्ताक्षर एकत्र किए गए थे, जिन्हें मानसून सत्र के दौरान विधानसभा के सामने प्रस्तुत करने की योजना थी।

प्रदर्शन पर सख्त पुलिस बंदोबस्त
धरने के लिए गर्दनीबाग की ओर बढ़ रहे समर्थकों को एयरपोर्ट से बेली रोड होते हुए चितकोहरा के रास्ते भेजा गया था, लेकिन यहाँ पहले से तैनात पुलिस बल ने कड़ा मोर्चा संभाल रखा था। प्रदर्शनकारी पुलिस घेराबंदी को पार नहीं कर सके और इसी दौरान स्थिति उग्र हो गई।

लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन: जन सुराज
पार्टी नेताओं ने पुलिस की कार्रवाई की आलोचना करते हुए कहा कि शांतिपूर्ण विरोध को दबाने के लिए बल प्रयोग लोकतंत्र के खिलाफ है। उनका आरोप है कि सरकार जनहित के सवालों से बचने के लिए प्रशासन का सहारा ले रही है।

प्रशांत किशोर धरनास्थल तक नहीं पहुंच सके
कड़े सुरक्षा प्रबंध और पुलिस अवरोधों के कारण प्रशांत किशोर खुद भी तय समय तक न तो विधानसभा और न ही धरना स्थल तक पहुंच पाए। चितकोहरा गोलंबर पर ही उनका काफिला फंसा रहा और विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व वहीं से करना पड़ा।

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