गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) निवासी वीरेंद्र विमल ने आपराधिक मामलों से बचने के लिए खुद को मृत घोषित कर अदालत और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को गुमराह किया था। उसने एमसीडी से फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाकर अदालत में जमा किया था, जिसके बाद उसके खिलाफ चल रहे मामले बंद कर दिए गए थे।
हालांकि, दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने मामले की तहकीकात कर असलियत उजागर की और वीरेंद्र को गिरफ्तार कर लिया। आरोपी के खिलाफ पहले से कई गैर-जमानती वारंट जारी थे।
जाँच में सामने आया सच
अपराध शाखा के पुलिस उपायुक्त आदित्य गौतम ने बताया कि आरोपी के अदालत में पेश न होने और फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र पेश करने के बाद आईएससी यूनिट की टीम को मामले की पुनः जाँच का आदेश दिया गया। इंस्पेक्टर सतेंद्र पूनिया और इंस्पेक्टर सोहन लाल की टीम ने डिजिटल रिकॉर्ड और स्थानीय सत्यापन के जरिए यह पुष्टि की कि वीरेंद्र अब भी जीवित है।
आरोपी की अपराध प्रवृत्ति
वीरेंद्र दिल्ली के मुंगेशपुर में रहता था और बवाना थाना क्षेत्र के बाहरी इलाकों में चोरी, सेंधमारी और अवैध हथियार रखने जैसे कई मामलों में शामिल रहा। उसने 24 अगस्त 2021 को अपने लिए फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाया था।
डिजिटल सत्यापन और फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम (FRRS) से उसकी पहचान सुनिश्चित हुई। उसके खिलाफ चार आपराधिक मामले दर्ज हैं।
कैसे करता था वारदात
वीरेंद्र मुख्य रूप से रात के समय औद्योगिक इकाइयों और आवासीय संपत्तियों को निशाना बनाता था। चोरी की गई नकदी, इलेक्ट्रॉनिक्स और वाहनों का इस्तेमाल आगे की चोरी और पुलिस से बचने के लिए करता था। अभियोजन से बचने के लिए उसने फर्जी तरीके से खुद को मृत घोषित कर अदालत और पुलिस को भ्रमित किया।
इस गिरफ्तारी के बाद दिल्ली पुलिस ने अदालत को फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र की जानकारी भी दे दी है।