दिल्ली में बढ़ते ट्रैफिक जाम और वाहनों की भारी भीड़ से निपटने के लिए सरकार एक बड़े वैज्ञानिक ट्रैफिक सर्वे की तैयारी कर रही है। यह सर्वे राजधानी के प्रमुख मार्गों, भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों और सार्वजनिक परिवहन की जरूरतों का गहराई से विश्लेषण करेगा।

पहली बार वैज्ञानिक अध्ययन
परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, यह कई वर्षों में पहली बार होगा जब लोगों की यात्रा पैटर्न और ट्रैफिक की समस्या को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मापा जाएगा। सर्वे में रिंग रोड, आउटर रिंग रोड और अन्य प्रमुख सड़कों पर ट्रैफिक पैटर्न का विश्लेषण किया जाएगा और पीक तथा नॉन-पीक ऑवर्स में सड़क उपयोग का आंकलन किया जाएगा।

सर्वे के प्रमुख पहलू
इस अध्ययन में ट्रैफिक वॉल्यूम, सड़क की चौड़ाई, जाम वाले इलाके, दुर्घटनाओं का विश्लेषण और इंटरसिटी व इंटरस्टेट कनेक्टिविटी जैसे करीब 10 महत्वपूर्ण पहलू शामिल होंगे। इसके अलावा "ऑरिजिन-डेस्टिनेशन" स्टडी की जाएगी, ताकि यह समझा जा सके कि लोग किस समय और किस वजह से यात्रा करते हैं।

नई रणनीति से जाम में राहत
अधिकारियों का कहना है कि इस सर्वे से दिल्लीवासियों की यात्रा की आदतों को समझकर बस और मेट्रो रूट्स को बेहतर ढंग से व्यवस्थित किया जा सकेगा। इसके साथ ही सड़क डिज़ाइन और मोड़ों के रेडियस का ऑडिट कर यह देखा जाएगा कि कहीं खराब लेआउट ट्रैफिक जाम की वजह तो नहीं बन रहा।

वाहनों की बढ़ती संख्या चुनौती
दिल्ली में वर्तमान में 1.4 करोड़ से ज्यादा वाहन पंजीकृत हैं और हर दिन लगभग 1,000 नए वाहन जुड़ रहे हैं। ट्रैफिक पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार 1981 से 2023 तक वाहनों की संख्या 21 गुना बढ़ी, जबकि सड़क लंबाई केवल दोगुनी हुई। राजधानी में 93 प्रतिशत वाहन निजी कार और दोपहिया हैं, जो ट्रैफिक जाम का मुख्य कारण हैं।

पार्किंग, पब्लिक ट्रांसपोर्ट और सड़क सुरक्षा
सर्वे में अवैध पार्किंग के प्रभाव और मेट्रो, बस, ऑटो तथा पैदल यात्री कनेक्टिविटी पर भी ध्यान दिया जाएगा। रिपोर्ट में बस स्टॉप, फुटपाथ, साइन बोर्ड और यात्री सूचना प्रणाली सुधार की सिफारिशें शामिल होंगी। इसके साथ ही एक्सीडेंट-प्रोन ब्लैक स्पॉट्स की पहचान कर सड़क सुरक्षा को बढ़ाने के उपाय सुझाए जाएंगे।

आधुनिक डेटा से बनेगी नई ट्रैफिक नीति
विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली में ताजा और सटीक ट्रैफिक डेटा की कमी के कारण सुधार करना मुश्किल रहा है। सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (CRRI) के ट्रैफिक इंजीनियर एस. वेलमुरुगन के अनुसार, "यह सर्वे यह बताएगा कि किन जगहों पर कम खर्च में अधिक सुधार संभव हैं।"
यह नया सर्वे राजधानी के लिए "रोडमैप टू स्मार्ट मोबिलिटी" साबित हो सकता है, जिससे न केवल ट्रैफिक जाम में राहत मिलेगी, बल्कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को भी वैज्ञानिक आधार पर मजबूत किया जा सकेगा।