न्यायपालिका में बढ़ता मतभेद, हितेश जैन ने पूर्व जजों की राजनीतिक भूमिका पर उठाए सवाल

नई दिल्ली। विपक्षी गठबंधन के उपराष्ट्रपति पद उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को लेकर भारतीय न्यायपालिका में विभाजन नजर आ रहा है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बयान पर कुछ रिटायर्ड जजों ने आपत्ति जताई थी, जिसके जवाब में 56 अन्य पूर्व न्यायाधीशों ने खुला पत्र जारी किया और राजनीतिक बयानों से न्यायपालिका की गरिमा को नुकसान पहुँचने की चिंता जताई।

इस बीच 23वें लॉ कमीशन के सदस्य हितेश जैन ने भी सुदर्शन रेड्डी का समर्थन करने वाले पूर्व जजों पर नाराजगी व्यक्त की। सोशल मीडिया पोस्ट में जैन ने कहा कि कई रिटायर्ड जज राजनीतिक कार्यकर्ताओं की तरह व्यवहार कर रहे हैं और न्यायिक स्वतंत्रता के सिद्धांतों के बजाय पक्षपात दिखा रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि न्यायपालिका की वास्तविक समस्याओं—जैसे जिला और मजिस्ट्रेट अदालतों में लंबित मामलों, नियुक्तियों में देरी और आम नागरिकों के न्याय तक पहुँच—पर इन जजों ने कभी ध्यान नहीं दिया।

हितेश जैन ने कहा कि कुछ रिटायर्ड जज बार-बार न्यायिक पदोन्नति और सर्वोच्च न्यायालय में लंबित मामलों पर सवाल उठाते हैं, लेकिन आम लोगों के लिए न्याय को सुलभ बनाने या निचली अदालतों की कार्यप्रणाली सुधारने पर कभी चर्चा नहीं करते। जैन ने आरोप लगाया कि ये जज अपने राजनीतिक एजेंडे के लिए न्यायपालिका का उपयोग कर रहे हैं और प्रधानमंत्री पर निशाना साधने के प्रयास में शामिल हैं।

जैन ने कहा, “अब समय आ गया है कि इस राजनीतिक लॉबी के चेहरे से नकाब हटाया जाए और स्पष्ट संदेश दिया जाए कि न्यायपालिका को धमकाया नहीं जा सकता।” उन्होंने पूर्व जजों की इस सक्रिय राजनीतिक भागीदारी को न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए खतरा बताया।

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