दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों से आवारा कुत्तों को हटाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने आपत्ति जताई है। उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा कि यह फैसला दशकों से अपनाई जा रही मानवीय और वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाली नीति से पीछे हटने जैसा है। उनके अनुसार, आवारा कुत्ते किसी समस्या का समाधान उन्हें खत्म करके नहीं किया जा सकता। आश्रय, नसबंदी, टीकाकरण और सामुदायिक देखभाल से सड़कों को बिना क्रूरता के सुरक्षित बनाया जा सकता है। उन्होंने पूर्ण रूप से हटाने के निर्णय को अमानवीय और अल्पदृष्टि वाला बताते हुए कहा कि जन सुरक्षा और पशु कल्याण साथ-साथ सुनिश्चित किए जा सकते हैं।
राहुल गांधी की यह प्रतिक्रिया सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली-एनसीआर के अधिकारियों को जल्द से जल्द सभी आवारा कुत्तों को स्थायी रूप से आश्रय स्थलों में स्थानांतरित करने के निर्देश के एक दिन बाद आई। अदालत ने कहा था कि कुत्तों के काटने से फैलने वाला रेबीज गंभीर खतरा बन चुका है, जिससे खासकर छोटे बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। कोर्ट ने आश्रय स्थलों की संख्या बढ़ाने और 6–8 हफ्तों में करीब 5,000 कुत्तों के लिए शेल्टर बनाने के निर्देश भी दिए।

पीठ ने टिप्पणी की थी कि यदि कोई व्यक्ति या संगठन इस प्रक्रिया में बाधा डालेगा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। न्यायाधीशों ने सवाल उठाया कि क्या ऐसे पशु प्रेमी रेबीज से जान गंवा चुके बच्चों को वापस ला पाएंगे? कोर्ट का कहना था कि परिस्थितियों के अनुसार आवश्यक कदम उठाना ही होगा।
यह आदेश उस मामले की सुनवाई के दौरान आया, जिसे शीर्ष अदालत ने 28 जुलाई को स्वतः संज्ञान लेते हुए शुरू किया था। इसमें दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा और गाजियाबाद के नगर निकायों को निर्देश दिया गया था कि सभी आवारा कुत्तों को हटाकर आश्रय स्थलों में रखा जाए, जहां उनकी देखभाल, टीकाकरण और निगरानी के लिए पर्याप्त स्टाफ और सीसीटीवी की व्यवस्था हो।