सत्येंद्र जैन को क्लीन चिट पर सिसोदिया का हमला: ‘एक रुपये का भी भ्रष्टाचार नहीं मिला’

पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की क्लोजर रिपोर्ट को अदालत द्वारा स्वीकार किए जाने के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) के नेताओं की प्रतिक्रिया सामने आई है। पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया ने इस फैसले को लेकर भाजपा और जांच एजेंसियों पर निशाना साधा।

मनीष सिसोदिया ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा कि आठ साल तक चली जांच, CBI-ED की छापेमारी और मीडिया ट्रायल के बावजूद सत्येंद्र जैन के खिलाफ भ्रष्टाचार का एक भी रुपया साबित नहीं हो सका। उन्होंने आरोप लगाया कि जांच की आड़ में सत्येंद्र जैन और उनके परिवार को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। उन्होंने सवाल उठाया कि झूठे आरोप लगाकर टीआरपी बटोरने वालों और “भ्रष्टाचार के पर्दाफाश” की स्क्रिप्ट पढ़कर उत्सव मनाने वालों की क्या कोई जवाबदेही नहीं होनी चाहिए?

सिसोदिया ने कहा, “जो लोग झूठे मामलों का तानाबाना बुनते हैं, उन्हें देश, सच और उस परिवार से माफी मांगनी चाहिए जिसे वर्षों तक बदनाम किया गया।”

इस मामले में AAP के एक अन्य नेता सौरभ भारद्वाज ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा कि दिल्ली विधानसभा के तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता की झूठी शिकायत पर एलजी ने सीबीआई को जांच के लिए भेजा। आरोपों में दम न होते हुए भी सत्येंद्र जैन के खिलाफ केस दर्ज कर उन्हें और उनकी पार्टी को लगातार परेशान किया गया। भारद्वाज ने सवाल उठाया कि क्या इस तरह की झूठी शिकायतों और राजनीतिक प्रतिशोध की कार्रवाई पर कोई कानूनी दायित्व नहीं बनता?

अदालत ने क्या कहा?

राउज एवेन्यू कोर्ट ने सत्येंद्र जैन और अन्य के खिलाफ भ्रष्टाचार मामले में CBI की क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार कर ली। यह मामला लोक निर्माण विभाग (PWD) में पेशेवरों की कथित अनियमित नियुक्तियों और असंबंधित परियोजनाओं से उनके भुगतान से जुड़ा था।

विशेष न्यायाधीश दिग्विनय सिंह ने अपने आदेश में कहा कि वर्षों चली जांच के बाद भी CBI कोई ऐसा साक्ष्य पेश नहीं कर सकी जिससे यह साबित हो कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कोई अपराध हुआ है। अदालत ने कहा कि केवल कर्तव्य में चूक या प्रक्रियात्मक त्रुटियों को भ्रष्टाचार की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। ऐसे में आगे की कोई कार्रवाई उचित नहीं है।

क्या थे आरोप?

2018 में दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय की शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी। आरोप था कि तत्कालीन मंत्री सत्येंद्र जैन और PWD अधिकारियों ने नियमों की अनदेखी करते हुए सलाहकारों की एक ‘क्रिएटिव टीम’ की नियुक्ति की। साथ ही दावा किया गया था कि इन भर्तियों में मानक प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ और बिना वित्त विभाग की मंजूरी के बारापुला फेज-3 जैसी परियोजनाओं से भुगतान किया गया।

हालांकि करीब चार वर्षों तक जांच करने के बावजूद CBI को इस संबंध में रिश्वत, निजी लाभ या किसी भी प्रकार के आपराधिक षड्यंत्र के पुख्ता प्रमाण नहीं मिले।

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