हिमाचल विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित

मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में जो पानी बह रहा है, उस पर लेवी (उपकर) लगाने के लिए सरकार अगले सत्र में नया एक्ट लाएगी। आने वाले समय में इससे भी आमदनी बढ़ेगी। सीएम ने कहा कि धारा 118 को थोड़ा सरल कर पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देंगे। मंगलवार को विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार विपक्ष के लोगों के नेतृत्व में दिल्ली जाने को तैयार है, वे वहां से बजट लाने में मदद करें, रुकवाएं नहीं।

सीएम ने पिछली भाजपा सरकार पर हजारों करोड़ की देनदारियां डालने के आरोप लगाए। कहा कि प्रदेश पर कोई वित्तीय संकट नहीं, पिछली सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन के कारण कैश फ्लो मिसमैच हुआ। राज्यपाल से लेकर मुख्य सचिव का वेतन पांच तारीख को दिया गया। एक महीने में उन्होंने अगर तीन करोड़ रुपये बचाए हैं और यह किसी गरीब आदमी तक पहुंचते हैं तो हर्ज क्या है। राज्य को आत्मनिर्भर बनाने के लिए और भी कड़े कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने प्रदेश के लोगों से सहयोग की अपील की और कहा कि राज्य की संपदा को लुटने नहीं देंगे।

सत्र के समापन से पहले सदन में प्रदेश की वित्तीय स्थिति पर चर्चा का जवाब देते सीएम ने कहा कि 75 साल से ऊपर के लोगों को महंगाई भत्ता दिया है। एरियर भी दे चुके। डीए और एरियर इसी सरकार के वक्त में ही दिया जाएगा। जब 2018-19 में सरप्लस राजस्व था तो यह स्थितियां क्यों पैदा हुईं कि देनदारियां आगे टाली गईं। भाजपा ने राजनीतिक लाभ लेने के लिए राज्य की संपदा लुटाई। अभी और अधिक कड़े फैसलों के साथ आगे बढ़ना होगा। सीएम ने कहा-हम यह प्रसिद्धि के लिए नहीं कर रहे। आगे मुख्यमंत्री कोई और होगा और सदन में मंत्री भी, पर फैसले लेने ही होंगे। विपक्ष के सदस्यों के नेतृत्व में सरकार नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य नेताओं से मिलने को तैयार है।

शानन परियोजना वाला मामला भी बुधवार को लगा है। सरकार ने सबसे अच्छे वकील कर इस लड़ाई को लड़ने को कहा है। मार्च तक बिजली की सब्सिडी मामले में निर्णय लेंगे। सीएम ने कहा कि बल्क ड्रग फार्मा पार्क और एक अन्य पार्क खैरात में नहीं मिले। तीन रुपये यूनिट पर उद्योगों को बिजली देने की बात की जा रही है। 1,000 करोड़ रुपये नई दिल्ली से मिलेंगे। मेडिकल पार्क में वे कुछ नहीं देंगे। राज्य सरकार इन्हें अपनी संपदा से बनाएगी।

वे राज्य की संपत्ति को लुटाने नहीं आए हैं। न्यू पेंशन स्कीम के लिए पीएफआरडीए को अंशदान देते हैं, तो उसमें सरकार का 14 प्रतिशत होता है। 6,000 करोड़ राज्य सरकार के जमा होते हैं। केंद्र 9 हजार करोड़ रुपये पर कुंडली मारकर बैठा है। इसे लेकर केंद्रीय वित्त मंत्री से मिलेंगे। सीएम ने कहा कि आज 20 महीने में आर्थिक संकट के बाहर निकलकर राजकोषीय अनुशासन की ओर बढ़ रहे हैं। सीएम ने कहा कि ताज और वाइल्ड फ्लॉवर होटल को बिजली मुफ्त क्यों देंगे। सरकार ने उद्योगों को एक रुपये सब्सिडी को खत्म कर दिया। भाजपा ने रेवड़ियां बांटीं। पिछली सरकार ने डीजल पर दो बार 6 फीसदी वैट बढ़ाया।

मुख्यमंत्री ने पेश किए आंकड़े
मुख्यमंत्री सुक्खू ने सदन में आंकड़े पेश किए कि राजस्व घाटा अनुदान वर्ष 2018-19 में 8,206 करोड़ रुपये, 2019-20 में 7866 करोड़, वर्ष 2020-21 में 11,431 करोड़, 2021-22 में 10,249 करोड़ और वर्ष 2022-23 में 9,377 करोड़ रुपये यानी इनके समय में कुल मिलाकर 47,128 करोड़ रुपये आया। वर्तमान सरकार के लिए अगले साल यह तीन हजार करोड़ रुपये तक घटा दिया गया। जीएसटी मुआवजे की बात करें तो यह वर्ष 2017-18 में 539 करोड़, 2018-19 में 2,037 करोड़, 2019-20 में 1,877 करोड़, वर्ष 2020-21 में 1,764 करोड़, 2021-22 में 1,168 करोड़ और 2022-23 में 1,293 करोड़ आए। कांग्रेस के वक्त में 88 करोड़ ही आए। भाजपा के वक्त में राजस्व सरप्लस रहने के बावजूद कर्मचारियों और पेंशनरों की देनदारियां टाली गईं। कर्मचारियों और पेंशनरों की 10,600 रुपये की लंबित देनदारियां और 76,650 रुपये का कर्ज विरासत में दिया गया।

बिजली पर उपकर लगाने का संशोधन विधेयक पारित
बिजली पर उपकर लगाने का संशोधन विधेयक सदन में पारित हो गया। विपक्ष के विधायकों द्वारा बिजली पर उपकर लगाने से आम लोगों पर बोझ को लेकर जताई गई आशंका को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि बिजली उपकर से जहां लगेगा नुकसान हो रहा है, वहां सब्सिडी देंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने और ग्रीन स्टेट बनाने के लिए बिजली पर उपकर लगाया गया है। उद्योगों को पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश से एक रुपये सस्ती दर पर बिजली दे रहे हैं। मुख्यमंत्री बोले, हिमाचल में लोग अमीर हैं, लेकिन सरकार गरीब है। सरकार का प्रयास है कि गांव के लोगों के पास पैसा आए। चार्जिंग स्टेशनों पर 6 रुपये प्रति यूनिट उपकर इसलिए लगाया गया है, क्योंकि चार्जिंग स्टेशन सरकार से 6 रुपये खरीद कर 20 रुपये प्रति यूनिट बिजली बेचते हैं। इसमें नुकसान लगेगा तो सब्सिडी देंगे। हम थर्मल पावर को छोड़ना चाह रहे हैं, ताकि ग्रीन एनर्जी के रूप में हमें पैसा मिले। एक उद्योगपति ने बताया कि अगर उसे ग्रीन स्टेट का प्रमाण पत्र दें तो वह बिजली 9 रुपये प्रति यूनिट खरीदने को तैयार है।

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