हिमाचल प्रदेश के छह बार मुख्यमंत्री रहे स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की प्रतिमा का अनावरण सोमवार को शिमला के रिज मैदान में किया गया। इस अवसर पर कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा विशेष रूप से मौजूद रहीं। समारोह में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू, पार्टी नेताओं सचिन पायलट, दीपेंद्र सिंह हुड्डा, रजनी पाटिल, राजीव शुक्ला और हजारों कार्यकर्ता शामिल हुए।

कार्यक्रम की शुरुआत सोनिया गांधी द्वारा वीरभद्र सिंह की प्रतिमा के अनावरण और पुष्पांजलि अर्पित करने से हुई। इसके बाद उनके जीवन और योगदान पर आधारित एक प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया गया। समारोह में प्रदेशभर से आए लोगों ने पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुन पर नाटी नृत्य प्रस्तुत कर अपने प्रिय नेता को श्रद्धांजलि दी।

कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा कि वीरभद्र सिंह भारतीय राजनीति के सबसे कद्दावर नेताओं में से एक थे, जिन्होंने हिमाचल को नई दिशा दी। उन्होंने कहा, “आज उनकी प्रतिमा का अनावरण केवल सम्मान का प्रतीक नहीं, बल्कि उस प्रेरणा का स्मरण है, जो उन्होंने पार्टी और देश को दी।”

इस अवसर पर प्रदेश कांग्रेस के नेताओं ने वीरभद्र सिंह की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने का संकल्प दोहराया। मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार उनके विकास दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।

कार्यक्रम में लगभग 10,000 लोगों की उपस्थिति रही। रिज मैदान पर करीब 7,000 कुर्सियां लगाई गईं थीं और वीरभद्र सिंह फाउंडेशन पिछले एक महीने से तैयारियों में जुटा था। सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए सीआरपीएफ और राज्य खुफिया विभाग के अधिकारी रविवार से ही रिज मैदान से लेकर छराबड़ा तक तैनात रहे।

कार्यक्रम में शामिल लोगों के लिए पारंपरिक धाम का भी प्रबंध किया गया था। उल्लेखनीय है कि वीरभद्र सिंह की यह प्रतिमा जून में रिज मैदान स्थित दौलत सिंह पार्क में स्थापित की गई थी। पहले इसका अनावरण जून और फिर जुलाई में प्रस्तावित था, लेकिन आपदा के कारण कार्यक्रम टल गया था।

वीरभद्र सिंह की राजनीतिक यात्रा
वीरभद्र सिंह ने 1962 में पहली बार लोकसभा चुनाव जीता और इसके बाद 13 चुनाव लड़े। उन्होंने केंद्र में इस्पात, पर्यटन, उद्योग और लघु उद्योग मंत्री के रूप में भी कार्य किया। अपने 47 वर्ष लंबे राजनीतिक जीवन में वे नौ बार विधायक और पांच बार सांसद रहे। शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे के विकास में उनका योगदान हिमाचल के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज है।
वे 8 जुलाई 2021 को शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में निधन को प्राप्त हुए।