मंडी जिले के थुनाग क्षेत्र में हाल की प्राकृतिक आपदा के बाद मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने गुरुवार रात थुनाग विश्राम गृह में आपदा प्रभावितों के बीच रात गुजारी। प्रशासन की चेतावनी और मौसम विभाग की भारी बारिश की आशंका के बावजूद, मुख्यमंत्री ने स्थानीय लोगों के साथ रहकर उनका हालचाल जाना और उनका हौसला बढ़ाया।
मौसम विभाग ने रात दो बजे के बाद भारी वर्षा की संभावना जताई थी, जिसको ध्यान में रखते हुए अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को थुनाग में रुकने से मना किया था। सुरक्षा जोखिमों के बावजूद मुख्यमंत्री ने पीड़ितों के बीच रहने का निर्णय लिया।
सबसे बड़ा राहत शिविर बना थुनाग विश्राम गृह
थुनाग का विश्राम गृह वर्तमान में मंडी जिले का प्रमुख राहत केंद्र है, जहाँ लगभग 130 लोग, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं, शरण लिए हुए हैं। मुख्यमंत्री ने प्रभावितों से सीधे संवाद किया और उन्हें मुहैया कराई जा रही राहत सुविधाओं का निरीक्षण भी किया।
हाल ही में इस क्षेत्र में बादल फटने और तेज़ बारिश की घटनाओं ने तबाही मचाई है। मंडी जिले में 17 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि पूरे राज्य में मृतकों की संख्या 85 से अधिक हो चुकी है। कई लोग अब भी लापता हैं और सैकड़ों बेघर नागरिक विभिन्न आश्रय केंद्रों में रह रहे हैं।
सरकार पीड़ितों के साथ खड़ी: मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री सुक्खू ने दोहराया कि राज्य सरकार संकट की इस घड़ी में प्रभावित लोगों की हरसंभव मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने जिला प्रशासन को निर्देश दिया कि राहत और पुनर्वास कार्यों में कोई ढिलाई न बरती जाए, और सभी आवश्यक सेवाएं तेजी से पीड़ितों तक पहुंचें।
स्थानीय दुकानदारों को भारी नुकसान
आपदा से प्रभावित एक दुकानदार ने बताया, “पिछले 25 वर्षों की कमाई एक ही झटके में समाप्त हो गई है। 50 से 60 लाख रुपये तक का सामान नष्ट हो गया, घर भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। अब तक किसी अधिकारी ने नुकसान का मूल्यांकन करने की ज़हमत नहीं उठाई है।”
भोजन की सुविधा भी जारी
थुनाग में स्थापित सामुदायिक रसोई, प्रभावितों को नियमित रूप से भोजन उपलब्ध करा रही है, ताकि कोई भी भूखा न रहे। प्रशासनिक और स्थानीय प्रयासों से राहत व्यवस्था को लगातार मजबूत किया जा रहा है।