जम्मू के अखनूर में सोमवार को हमला करने वाले 3 आतंकियों का सुरक्षाबलों ने खात्मा कर दिया है. हमले के तुरंत बाद सेना ने ऑपरेशन आसन शुरू किया था. इसमें एनएसजी कमांडो, हेलीकॉप्टर के साथ ही बीएमपी-II लड़ाकू वाहनों को भी उतारा. ये पहली बार था जब आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन में बीएमपी-II जैसे टैंक उतारे गए. इतना ही नहीं एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) की भी मदद ली गई.

आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन खत्म होने के बाद सेना ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इसमें सेना के मेजर जनरल, समीर श्रीवास्तव ने बताया, ऑपरेशन आसन में हमने मानव रहित वाहन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया. इसके हमें त्वरित और अच्छे परिणाम मिले. आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन में हमने एक आर्मी डॉग खो दिया.

सेना ने बताया ऑपरेशन में क्यों उतारे गए टैंक

मेजर जनरल ने बताया कि जब सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा था, तभी आतंकवादियों ने डॉग फैंटम पर गोलियां चलाईं. इस हमले में फैंटम ने देश के लिए बदिलान दिया. उसके बलिदान के कारण ही कई लोगों की जान बची. उन्होंने बीएमपी टैंक के इस्तेमाल पर भी जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि हमने बीएमपी का इस्तेमाल किया क्योंकि वो दुर्गम इलाका था. 30 डिग्री की ढलान और घने जंगल में आतंकवादियों का पता लगाने के बाद वहां पहुंचने के लिए इनका इस्तेमाल किया गया था.

मारे गए आतंकियों के पास से क्या-क्या बरामद हुआ?
एम-4 राइफल01
एके-47 राइफल02
एम4 मैगजीन03
एके मैगजीन08
पिस्टल01
9 मिमी पिस्टल कारतूस20
7.62 एमएम कारतूस77
5.56 एमएम कारतूस129
सोलर पैनल01
चाकू03
यूएसबी केबल के साथ पावर बैंक01
हैंड ग्रेनेड01
घड़ी01
छोटा नोट पैड01
सेंट्री साइलेंसर01
गोला बारूद पाउच03
कंबल03
वायर कटर01
स्क्रू ड्राइवर01
कॉटन पैकेट03 बंडल
काजू02 पैकेट
खजूर03 पैकेट
चना02 पैकेट
किशमिश03 पैकेट
बादाम02 पैकेट
कैंडी02 पैकेट
कैंची01
पॉलीथीन सेट02

फैंटम के बलिदान को सलाम

आतंकियों के खिलाफ इस ऑपरेशन में सेना के डॉग फैंटम ने शहादत दी है. फैंटम की शहादत पर सेना ने कहा, हम अपने सच्चे नायक, बहादुर डॉग के सर्वोच्च बलिदान को सलाम करते हैं. उसके साहस, निष्ठा और समर्पण को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा.

बेल्जियन मेलिनोइस नस्ल के फैंटम को अगस्त 2022 में इस क्षेत्र में तैनात किया गया था. फैंटम कई अहम मिशन का अहम हिस्सा रहा. फैंटम का जन्म मई 2020 में हुआ था. उसको भारतीय सेना के रिमाउंट वेटरनरी कोर केंद्र से भेजा गया था. अखनूर में उसने सर्च ऑपरेशन के दौरान छिपाए गए विस्फोटकों का पता लगाया था. इससे सैनिकों को घेराबंदी को और मजबूत करने में मदद मिली थी.