केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में सोमवार को भोपाल में मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक हुई। इसमें नक्सलवाद, आतंकवाद, किसान कल्याण, महिला-बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों में कमी लाने, साइबर क्राइम जैसे विषयों पर चर्चा हुई। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भोपाल में हो रही बारिश की वजह से नहीं आ सके। उन्होंने वर्चुअल ही बैठक में भाग लिया। भोपाल में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और एक दिन पहले आ चुके उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने भाग लिया। 

बारिश की वजह से नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी का भूमिपूजन भी रद्द कर दिया गया और वर्चुअल कार्यक्रम ही हुआ। इस बैठक में भूपेश बघेल ही इकलौते ऐसे मुख्यमंत्री थे, जो भाजपा के नहीं थे। उन्होंने परिषद की 23वीं बैठक के दौरान उन मुद्दों को भी उठाया, जिसे लेकर केंद्र और राज्य में खींचतान चल रही है।

बघेल ने कहा कि हमारे संविधान ने भारत को राज्यों का संघ कहा है। इसमें राज्य की अपनी भूमिका तथा अधिकार निहित हैं। सर्वोच्च नीति नियामक स्तरों पर भी यह सोच बननी चाहिए कि राज्यों पर पूर्ण विश्वास किया जाए। राज्यों की स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप विकास के समुचित अधिकार राज्य सरकारों को दिए जाएं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ सरकार तो अपने स्तर पर प्रयास कर रही है, लेकिन भारत सरकार का विशेष सहयोग नहीं मिल पा रहा है।

बघेल ने कहा कि वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत राज्य शासन को सिर्फ 5 हैक्टेयर वन भूमि के व्यपवर्तन की अनुमति है। इसे 40 हैक्टेयर तक बढ़ाने का निर्णय भारत सरकार के पास लंबित है। उन्होंने जीएसटी क्षतिपूर्ति से लेकर तमाम मुद्दों पर राज्य की मांगों को आगे रखा। सीधे-सीधे तो नहीं, फिर भी यह कह गए कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की कोई खास मदद नहीं मिल रही है।