मध्य प्रदेश में आईएएस अधिकारियों को लेकर विवादों की कड़ी अभी थमी भी नहीं थी कि एक नया मामला सामने आया है। आदिम जनजाति विभाग की उपसचिव आईएएस मीनाक्षी सिंह के हालिया बयान ने सियासी और सामाजिक हलकों में नई बहस छेड़ दी है। उनका बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और इस पर सवर्ण समाज की ओर से नाराजगी भी जताई जा रही है।
भोपाल के अंबेडकर पार्क में आयोजित अजाक्स (AJAKS) सम्मेलन में मीनाक्षी सिंह ने कहा कि समाज को जोड़ने की शुरुआत घर से होती है और इसके लिए बच्चों को यह जानना जरूरी है कि वे किस समुदाय से आते हैं। उन्होंने मंच से यह भी कहा कि बच्चों को अपनी जातिगत पहचान समझना और स्वीकार करना आज के समय की आवश्यकता है।
बयान में उन्होंने यह भी बताया कि समाज में आज भी उपनाम देखकर भेदभाव किया जाता है। ऐसे में समाज के लोगों को पहचानना और एक-दूसरे का सहयोग करना आवश्यक हो गया है। उनका मानना है कि समाज के भीतर एकजुटता तभी आएगी जब लोग खुलकर अपनी पहचान स्वीकार करेंगे और एक-दूसरे के साथ खड़े होंगे।
मीनाक्षी सिंह ने आदिवासी समाज के लोगों से अपील की कि वे वरिष्ठ अधिकारियों से मिलने में झिझक न करें। उनका कहना था कि संवाद से ही समाज के लिए बेहतर काम किया जा सकता है।
आईएएस मीनाक्षी सिंह 2013 बैच की अधिकारी हैं और वर्तमान में आदिम जनजाति विभाग में उपसचिव के पद पर कार्यरत हैं। वे अजाक्स संगठन से भी जुड़ी हुई हैं। इस मामले में उनसे संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन बात नहीं हो सकी।