जमीयत उलेमा ए हिंद ने रविवार (4 मई) को एक प्रस्ताव पारित कर पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा की। साथ ही, उन्होंने सरकार के हर कदम का समर्थन करते हुए आतंकवादियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। इस अवसर पर जमीयत के अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने मीडिया से कई मुद्दों पर अपनी राय साझा की।
मदनी ने कहा कि भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु शक्ति से संपन्न देश हैं, और यदि युद्ध हुआ तो इससे भारी तबाही होगी। उन्होंने यह भी कहा कि युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है और ऐसे हालात में भारतीय मुद्रा की कीमत भी गिर सकती है।
पहलगाम हमले पर मदनी ने कहा कि जो लोग इस तरह की घटनाओं को अंजाम देते हैं, वे जाहिल होते हैं, जबकि इस्लाम इस तरह की हिंसा की अनुमति नहीं देता। उन्होंने कहा कि किसी भी बेगुनाह की हत्या एक गंभीर अपराध है, चाहे वह कोई भी हो। मदनी ने आतंकियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की बात की और कहा कि देश में जिस नफरत की राजनीति को बढ़ावा दिया जा रहा है, वह बेहद खतरनाक है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यह नफरत की राजनीति का सिलसिला जारी रहा, तो एक दिन ऐसा आ सकता है जब मुसलमानों और हिंदुओं के लिए सांस लेना भी मुश्किल हो जाएगा।
मदनी ने सरकार की नफरत आधारित नीति पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि इस्लाम के खिलाफ दहशतगर्दी का आरोप फैलाया जा रहा है, जबकि असल में इस्लाम एक ऐसा धर्म है जिसकी मान्यता और अनुयायी लगातार बढ़ रहे हैं।
पहलगाम हमले में सुरक्षा व्यवस्था पर मदनी ने गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जहां पर हजारों लोग मौजूद थे, वहां न तो कोई पुलिस वाला था और न ही कोई फौजी। जब आतंकवादियों ने गोलीबारी की, तो उनकी आवाज सुनी गई, लेकिन डेढ़ घंटे तक कोई मदद नहीं आई। उन्होंने सरकार से पूछा कि आतंकवादी उस इलाके तक कैसे पहुंचे और इतनी देर तक सुरक्षा बल क्यों नहीं पहुंचे?
बांग्लादेशियों की धरपकड़ पर मदनी ने कहा कि अगर कोई बांग्लादेशी अवैध रूप से रह रहा है तो उसे देश से बाहर किया जाना चाहिए। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि केवल किसी व्यक्ति की भाषा के आधार पर उसे बांग्लादेशी कहना गलत है, और इस तरह की मानसिकता का वह समर्थन नहीं करते।