नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच रिश्तों में सुधार के बावजूद, कुछ क्षेत्रों में भारत चीनी आयात पर कड़ी नज़र रखता है। इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) के निर्माण में भी यही स्थिति देखने को मिल रही है। हालिया रिपोर्ट में सामने आया है कि देश में बिकने वाले हर 46 ईवी मॉडलों में से केवल 6 ही सरकार की PLI (Production Linked Incentive) योजना के तहत लाभ के पात्र पाए गए हैं।
PLI योजना और इलेक्ट्रिक वाहनों में लोकलाइजेशन
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के ईवी निर्माता सेमीकंडक्टर, बैटरी और मैग्नेट जैसे महत्वपूर्ण कंपोनेंट्स के लिए चीनी और ताइवानी आयात पर निर्भर हैं। सितंबर 2021 में भारी उद्योग मंत्रालय ने ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट्स के लिए PLI योजना लागू की थी, जिसके तहत वाहन निर्माताओं को न्यूनतम 50% डॉमेस्टिक वैल्यू एडिशन (DVA) पूरी करनी होती है। इस योजना का उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों में स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना और आयात पर निर्भरता कम करना है।
कौन से मॉडल को मिला PLI लाभ
सरकारी सूत्रों के अनुसार, PLI योजना का लाभ केवल छह मॉडलों को मिला है। इनमें टाटा मोटर्स के पांच मॉडल और महिंद्रा का एक मॉडल शामिल है। अन्य प्रमुख ब्रांड जैसे BMW, मर्सिडीज-बेंज, हुंडई, किआ, टेस्ला, ऑडी और JSW MG के अधिकांश ईवी मॉडलों में 60% से अधिक घटक चीन से आते हैं, इसलिए ये योजना के लिए अयोग्य पाए गए।
PLI योजना के अंतर्गत लाभ पाने वाले मॉडल हैं:
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टाटा पंच, नेक्सन, हैरियर SUV, टियागो हैचबैक, टिगोर सेडान
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महिंद्रा XEV9E
स्थानीय उत्पादन में चुनौतियां
अधिकतर ईवी कंपनियों ने बताया कि प्रारंभिक चरण में DVA मानकों को पूरा करना कठिन है। लोकल सप्लाई चेन अभी भी आंतरिक दहन इंजन वाले वाहनों जितना विकसित नहीं है। इसके अलावा, पर्यावरण-मित्र वाहनों की सीमित संख्या और आपूर्ति भागीदारों की भारत में उत्पादन क्षमता की कमी भी बड़ी बाधा है।
मुख्य आयातित घटक
भारत में ईवी निर्माता मुख्य रूप से निम्न घटकों के लिए चीन और ताइवान पर निर्भर हैं:
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लिथियम-आयन बैटरी सेल
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डीसी मोटर्स और ब्लैक बॉक्स असेंबली
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रेयर अर्थ मैगनेट
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लैमिनेटेड स्टेटर
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सेमीकंडक्टर चिप्स और प्रिंटेड सर्किट बोर्ड
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कनेक्टर, कॉन्टैक्टर, रिले और डीसी-डीसी कन्वर्टर्स
सरकार का उद्देश्य
PLI योजना का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में 50 गीगावाट घंटे की मैन्युफैक्चरिंग क्षमता के साथ 60% लोकल वैल्यू एडिशन हासिल करना है। इसके माध्यम से भारत इलेक्ट्रिक वाहनों में स्थानीय उत्पादन और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना चाहता है।
चुनौतियां और भविष्य की राह
सप्लाई चेन की स्थिरता, हाई इनवेस्टमेंट की आवश्यकता और लोकल घटकों की कमी उद्योग के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार की पहल और प्राइवेट सेक्टर के निवेश से ही भारत ईवी उत्पादन में वैश्विक प्रमुख बनने की दिशा में आगे बढ़ सकता है।