सावन का पावन महीना चल रहा है और कई स्थानों पर सड़क किनारे मिलने वाला नॉनवेज खाना बंद कर दिया गया है। इसी क्रम में गाजियाबाद स्थित केएफसी रेस्टोरेंट पर हिंदू रक्षा दल के कार्यकर्ताओं ने पहुंचकर विरोध दर्ज कराया और सावन के दौरान रेस्टोरेंट बंद करने की मांग की। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रहा है। संगठन की मांग है कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी नॉनवेज रेस्टोरेंट्स इस महीने के दौरान बंद रखे जाएं।
केएफसी: एक आइकॉनिक ब्रांड की शुरुआत
विवाद से इतर, क्या आप जानते हैं कि KFC यानी "केंटकी फ्राइड चिकन" की शुरुआत कैसे हुई? आज जिस ब्रांड की वैश्विक पहचान है, उसकी नींव एक ऐसे व्यक्ति ने रखी थी जिसने 65 साल की उम्र में नए सिरे से जीवन शुरू किया।
कर्नल सैंडर्स: मेहनत और हौसले की मिसाल
KFC के संस्थापक कर्नल हारलैंड सैंडर्स को ब्रांड का चेहरा माना जाता है। उनका जीवन इस बात का उदाहरण है कि कठिनाइयां चाहे जितनी हों, यदि हौसला मजबूत हो तो सफलता जरूर मिलती है। अमेरिका के इंडियाना में जन्मे सैंडर्स ने सात साल की उम्र में खाना बनाना सीख लिया था। पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते पढ़ाई छूट गई और जीवनभर उन्होंने कई तरह की नौकरियां कीं—रेलवे, इंश्योरेंस, टायर बिक्री से लेकर सेना तक।
नौकरियां छूटती रहीं, निजी जीवन में भी चुनौतियां आईं, लेकिन सैंडर्स ने हार नहीं मानी। उनका असली जुनून था चिकन पकाना, जो आगे चलकर उनकी पहचान बना।
पेट्रोल पंप से शुरू हुआ सफर
1930 में केंटकी के कॉर्बिन इलाके में उन्होंने एक पेट्रोल पंप खोला, जहां से उन्होंने ग्राहकों को खाना भी परोसना शुरू किया। उनका खास मसालेदार फ्राइड चिकन लोगों को इतना पसंद आया कि उन्हें "कर्नल" की उपाधि से नवाज़ा गया।
हालांकि बाद में नया हाइवे बनने से उनका रेस्टोरेंट बंद हो गया, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। 65 वर्ष की आयु में वे अपनी रेसिपी लेकर देशभर के रेस्टोरेंट्स में घूमे। 1009 बार अस्वीकार किए जाने के बाद आखिरकार उन्हें एक जगह से मंजूरी मिली और वहीं से केएफसी ब्रांड की शुरुआत हुई।
20 लाख डॉलर में बेचे राइट्स, पर गुणवत्ता पर रहा ज़ोर
1965 में सैंडर्स ने KFC के फ्रेंचाइज़ी अधिकार 20 लाख डॉलर में बेचे, इस शर्त के साथ कि क्वालिटी कभी गिरनी नहीं चाहिए। इसके बदले उन्हें जीवनभर आय मिलती रही।
आज KFC के दुनियाभर में 25,000 से अधिक स्टोर हैं, जो 150 से ज्यादा देशों में काम कर रहे हैं। कर्नल सैंडर्स अब भले ही इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी मुस्कान वाला चेहरा हर KFC स्टोर की पहचान बना हुआ है।
उनकी कहानी बताती है कि सफलता केवल उन्हीं को मिलती है जो कभी हार नहीं मानते।