दुनिया संकटों से जूझ रही है, लेकिन किसानों ने अपने काम को लगातार जारी रखा है। इसी मेहनत और नई कृषि तकनीकों का परिणाम है कि इस साल वैश्विक अनाज उत्पादन अब तक के उच्चतम स्तर तक पहुंचने की संभावना है। विशेषज्ञों के अनुसार, 2025 में कुल उत्पादन 299 करोड़ टन तक पहुंच सकता है, जो पिछले साल की तुलना में 4.4 फीसदी अधिक है।
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) की ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि मक्का, गेहूं और चावल जैसी प्रमुख फसलों में उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। मक्का की पैदावार में सबसे अधिक उछाल देखने को मिलेगा, जबकि चावल भी ऐतिहासिक उच्च स्तर तक पहुंचने की उम्मीद है। इसके अलावा जौ और अन्य अनाजों का उत्पादन भी बढ़ने की संभावना है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2025 के अंत तक वैश्विक अनाज भंडार 5.7 फीसदी बढ़कर 91.6 करोड़ टन तक पहुंच जाएगा। यह 2017-18 के बाद का सबसे बड़ा स्तर होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि यह अतिरिक्त भंडार किसी आपदा या संकट की स्थिति में भी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि उत्पादन में यह उछाल बेहतर मौसम, उन्नत कृषि तकनीक और निर्यात प्रतिबंधों में ढील का परिणाम है। रूस ने युद्ध की स्थितियों के बावजूद आधुनिक सिंचाई प्रणालियों और सैटेलाइट आधारित फसल निगरानी तकनीक के माध्यम से उत्पादन स्थिर रखा। अमेरिका में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित पूर्वानुमान और जलवायु-सहनशील फसलों ने उत्पादन को बनाए रखा।
निर्यात पर कड़े प्रतिबंधों को धीरे-धीरे कम करने से वैश्विक खाद्य आपूर्ति शृंखला में राहत मिली है। अर्जेंटीना, भारत और रूस जैसे देशों ने 2024-25 में लगाए गए प्रतिबंधों में ढील दी है, जिससे खाद्य कीमतों में स्थिरता आने की उम्मीद है। इस वर्ष कृषि और व्यापारिक दृष्टि से भी किसानों के लिए अनुकूल साबित होगा।