सरकार ने अगले दो साल में पेट्रोल (Petrol) में 20 फीसदी इथेनॉल ब्लेंडिंग (ethanol-blending) का लक्ष्य रखा है जिससे देश को महंगे तेल आयात पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी. इससे पहले सरकार ने 2025 तक इसे हासिल करने का लक्ष्य रखा था जिसे अब और नजदीक करते हुए 2023 कर दिया गया है.

पिछले साल सरकार ने 2022 तक के लिए पेट्रोल में 10 फीसदी इथेनॉल ब्लेंडिंग (10 फीसदी इथेनॉल को 90 फीसदी पेट्रोल के साथ मिलाना), उसके बाद इथेनॉल मिश्रण की मात्रा को 2030 तक बढ़ाकर 20 फीसदी करने का लक्ष्य रखा था. इस साल की शुरुआत में इसे 2030 के बजाय 2025 कर दिया गया था और अब इसमें और सुधार करते हुए इसे अप्रैल 2023 कर दिया गया.

1 अप्रैल 2023 से होगा लागू

पेट्रोलियम मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा, केंद्र सरकार यह निर्देश देती है कि तेल कंपनियां सभी राज्यों एवं केंद्रशासित क्षेत्रों में भारतीय मानक ब्यूरो के मानकों के अनुरूप 20 फीसदी इथेनॉल के मिश्रण वाला पेट्रोल बेचेंगी. यह अधिसूचना 1 अप्रैल, 2023 से प्रभाव में आएगी.

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है और अपनी मांग के 85 फीसदी हिस्से के लिए विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भर है.

कितने लीटर इथेनॉल की होगी जरूरत

पिछले साल अक्तूबर में शुरू हुए मौजूदा इथेनॉल आपूर्ति वर्ष में भारत की योजना 10 फीसदी इथेनॉल ब्लेंडिंग वाला पेट्रोल बेचने की है. इस अनुपात को हासिल करने के लिए करीब 4 अरब लीटर इथेनॉल की जरूरत होगी. वर्ष 2023 तक 20 फीसदी इथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य हासिल करने के लिए 10 अरब लीटर इथेनॉल की जरूरत होगी.

जरूरी सात अरब लीटर इथेनॉल के उत्पादन के लिए चीनी उद्योग को 60 लाख टन अधिशेष चीनी का इस्तेमाल करना होगा जबकि बाकी इथेनॉल का उत्पादन अतिरिक्त अनाज से किया जाएगा.

क्या होता है इथेनॉल

इथेनॉल एक तरह का अल्कोहल है जिसे पेट्रोल में मिलाकर गाड़ियों में फ्यूल की तरह इस्तेमाल किया जाता है. इथेनॉल का उत्पादन वैसे तो गन्ने से होता है. इसे पेट्रोल में मिलाकर 35 फीसदी तक कार्बन मोनोऑक्साइड कम किया जा सकता है.

इथेनॉल ब्लेंडिंग वाले पेट्रोल से आम आदमी को भी बड़ा फायदा होगा. इथेनॉल से चलने वाली गाड़ी पेट्रोल के मुकाबले बहुत कम गर्म होता है. इथेनॉल में अल्कोहल जल्दी उड़ जाता है, जिसके चलते इंजन जल्द गर्म नहीं होता है.