पुलिस की कार्य प्रणाली, दादागर्दी, भ्रष्टाचार के विषय में प्रायः प्रतिदिन कोई न कोई समाचार सामने आ जाता है। ज्ञात हुआ है कि भ्रष्टाचार उन्मूलन विभाग सहारनपुर की टीम ने थाना भोपा के दरोगा सुभाषचंद्र को साढ़े नौ हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।
ग्राम काज़ीखेड़ा निवासी विनीत राठी के बेटे को उसके पड़ौसी के कुत्ते ने काट लिया था, इस पर दोनों पक्षों में गाली-गलोच व तू-तू-मैं-मैं हुई। मामला भोपा पुलिस पर पंहुचा तो दरोगा सुभाषचंद्र ने आरोपियों से सांठ-गांठ कर विनीत राठी के विरुद्ध कई धाराओं में मुक़दमा दर्ज कर लिया और विनीत पर धारा 307 के अंतर्गत जान से मारने के उदेश्य से हमला करने की धारा भी लगा दी। उसे जेल भी भेज दिया। मुकदमे से संगीन धारा खत्म करने के एवज में 50000 रुपये की रिश्वत मांगी गई।

विनीत राठी ने इसकी शिकायत एंटीकरप्शन यूनिट को दी। विनीत ने दरोगा से कहा कि वह भोपा नहर के पुल पर कुछ रुपये देगा, वहीं आ जाना। साढ़े नौ हजार की रकम लेते ही सादे कपड़ों की टीम ने दरोगा को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। पुलिस की यह कारगुजारी, काली करतूत या पुराने दस्तूर की कहानी योगी राज की है, इसे मुलायम, मायावती, अखिलेश या अन्य किसी भी सरकार के दौरान हुई घटना से जस्पा किया जा सकता है क्यूंकि ब्रिटिश काल से लेकर आज तक पुलिस ऐसा ही करती आ रही है।

गोविन्द वर्मा