ऑनलाइन गेमिंग की आड़ में करोड़ों रुपये के कर घोटाले का मामला सामने आया है। डायरेक्टरेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस (DGGI) ने खुलासा किया है कि दो महीनों के भीतर तीन कंपनियों ने बच्चों को मामूली शुल्क पर मोबाइल गेम खिलाकर 329 करोड़ रुपये का जीएसटी चोरी किया। जांच में पता चला कि ये कंपनियां 10 से 15 रुपये प्रति गेम की वसूली कर 739 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई कर चुकी थीं, लेकिन सरकार को उसके अनुसार कर नहीं चुकाया गया।
दो निदेशक गिरफ्तार, 14 दिन की न्यायिक हिरासत
ग्रेटर नोएडा और जयपुर में छापेमारी करते हुए DGGI टीम ने दो डायरेक्टर—रवि सिंह और रंजन कुमार—को हिरासत में लिया। दोनों को बुधवार को स्पेशल सीजेएम दुर्गेश नंदनी की अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।
अभियोजन पक्ष के विशेष अधिकारी लक्ष्य कुमार सिंह और वंदना सिंह ने बताया कि ग्रेटर नोएडा स्थित एनवेय व्हील नामक फर्म से जुड़े रवि सिंह पर 206 करोड़ रुपये की कर चोरी का आरोप है। वहीं जयपुर के रंजन कुमार की दो फर्मों, जिनमें प्रमुख एमएस स्पेस टेक है, ने मिलकर 123 करोड़ रुपये का कर राजस्व सरकार से छुपाया।
बच्चों को लक्षित कर रही थीं गेमिंग एप्स
अधिकारियों के अनुसार, इन गेमिंग एप्स तक पहुंच प्ले स्टोर पर खोजते ही हो जाती थी। बच्चों को आकर्षित करने के लिए विभिन्न वेबसाइटों पर विज्ञापन चलाए जा रहे थे और नोटिफिकेशन भेजे जाते थे। कैरम और लूडो जैसे पारंपरिक खेलों के डिजिटल संस्करण भी उपलब्ध कराए जा रहे थे।
क्योंकि एक बार में सिर्फ 10–15 रुपये ही कटते थे, अभिभावकों को भी इसकी भनक नहीं लगती थी। लेकिन दो महीने में ये छोटी-छोटी राशि मिलकर विशाल रकम में बदल गई।
बिना लाइसेंस चल रहा था पूरा नेटवर्क
कंपनियों के पास गेमिंग का वैध लाइसेंस नहीं था। अभियोजन के अनुसार, इन लोगों ने ई-कॉमर्स लाइसेंस रखने वाली कंपनियों के नाम का उपयोग कर गेमिंग प्लेटफॉर्म को बाजार में उतारा। ग्राहकों को कोई बिल या रसीद नहीं दी जाती थी, जिससे राजस्व का रिकॉर्ड गायब रहता था। विभाग का कहना है कि पूरा नेटवर्क काफी बड़ा है और इसकी जांच अब भी जारी है।
सरकार पहले ही कर चुकी है ऑनलाइन गेमिंग पर सख्ती
1 अक्टूबर 2025 से लागू Online Gaming Regulation Act, 2025 के तहत कई तरह के गेम—जैसे फैंटेसी स्पोर्ट्स, पोकर और रम्मी—पर देश में प्रतिबंध है। इसके उल्लंघन पर कठोर दंड का प्रावधान है।
प्रतिबंध से पहले देशभर में युवा बड़ी संख्या में गेम पर पैसा लगाकर कर्ज तले दब रहे थे और कई मामलों में आत्महत्या तक की घटनाएं सामने आई थीं। मेरठ सहित कई शहरों में मैचों के दौरान बेटिंग से जुड़ी गतिविधियां तेजी से बढ़ रही थीं, जिसके चलते अपराध तक होने लगे थे।
DGGI के मुताबिक, टैक्स चोरी और अवैध ऑनलाइन गेमिंग दोनों पर नजर रखी जा रही है, और आने वाले दिनों में इस नेटवर्क के और खुलासे होने की संभावना है।