7 जून, 2024 को राहुल गांधी ने दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस बुलाई और कांग्रेस तथा इंडी गठबंधन की 'जीत' का गुणगान किया। बताया कि कैसे उन्होंने भारतीय जनता पार्टी को लोकसभा में बहुमत पाने से रोक दिया है। इस प्रेस कांफ्रेंस में 'इंडिया टुडे' ग्रुप की पत्रकार मौसमी सिंह ने राहुल से पूछा कि क्या 18वीं लोकसभा की कार्यवाही सुचारू रूप से चलेगी क्यूंकि कार्यवाही संचालन में बाधा पड़ने से धन व समय दोनों की हानि होती है। इंडिया टुडे की महिला पत्रकार का सवाल सुनते ही राहुल भड़क गए और बोले- 'यह बीजेपी का सवाल है।' इतना ही नहीं, महिला पत्रकार से राहुल ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा- 'आपको हाथ के पंजे वाले निशान की शर्ट पहन लेनी चाहिए।'

राहुल इससे पहले भी कई बार पत्रकारों से बद‌‌जुबानी कर चुके हैं। गत वर्ष राहुल ने एक प्रेस कांफ्रेंस में प्रश्न पूछने पर एक पत्रकार को बेइज्जत कर कहा था- 'देखो कैसे हवा निकल गई।' भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल ने एक पत्रकार को झिड़क दिया था। पत्रकारों को धक्का देने के वीडियो भी वायरल हुए थे।

आपातकाल में कैसे प्रेस का दमन हुआ, कम से कम पत्रकार तो यह भूल नहीं सकते। ये वे राहुल हैं जो लोकतंत्र, संविधान की रक्षा की बात करते नहीं अघाते और असहिष्णुता के आरोप लगाने में सदा मुखर रहते हैं। पिछले वर्ष पत्रकार सुधीर चौधरी पर कांग्रेस ने कश्मीर से केरल तक 250 से ज्यादा एफआईआर दायर कर अपनी प्रेस की स्वतंत्रता की पोल खुद ही खोल दी थी।

जब राहुल गांधी दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस कर महिला पत्रकार को काँग्रेस के थप्पे वाली शर्ट पहनने की सलाह दे रहे थे, तब लखनऊ में सपा कार्यालय की प्रेस कांफ्रेंस में अखिलेश यादव पत्रकारों को सुधर जाने की धमकी देने में लगे थे। उनका यह वीडियो खूब वायरल हो रहा है जिसमें वे कह रहे हैं- 'सुधर जाओ नहीं तो हमें सुधारना आता है।' ये लोकतंत्र और संविधान के रक्षकों की ज़हनियत है।

प्रमुख पत्रकार और कई न्यूज चैनल चलाने वाले हर्ष कुमार को कांग्रेस के नव निर्वाचित सांसद इमरान मसूद के एक चहेते ने फोन पर कई बार गर्मी दिखाई। हर्ष कुमार ने धमकी देने वाले का मोबाइल फोन नंबर सार्वजनिक किया और इसकी सूचना पुलिस को दे दी है।

इंडी गठबंधन के नेताओं ने कैसे रिपब्लिक भारत के अर्नब गोस्वामी को घसीटते हुए जेल में बन्द कराया, यह सब टीवी पर आ चुका है। गोस्वामी को चप्पल तक भी पहनने नहीं दी और घसीट कर जेल में ठूस दिया गया था। बिहार के यूट्‌यूबर मनीष कश्यप के घर के दरवाजे-खिड़‌की तक उखाड़े गए। 13 मुकद‌मे कायम किए गए। एनएसए में जेल भेजा। पत्रकार जगत को अधिनायकवादी तत्वों से निपटने के लिए तैयार रहना होगा। सच में कलम की आज़ादी के समक्ष एक नया खतरा खड़ा‌ हुआ है।

गोविन्द वर्मा