नई दिल्ली/वेलिंगटन: भारत और न्यूजीलैंड के बीच हाल ही में घोषित मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को लेकर न्यूजीलैंड की सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार में विवाद उभरता दिख रहा है। न्यूजीलैंड के विदेश मंत्री विंस्टन पीटर्स ने इस समझौते की आलोचना करते हुए इसे “स्वतंत्र और निष्पक्ष” नहीं बताया।
पीटर्स ने कहा कि उनकी पार्टी न्यूजीलैंड फर्स्ट इस समझौते के विरोध में है। उन्होंने इसे न्यूजीलैंड के लिए “कमजोर और असंतुलित” समझौता करार दिया, क्योंकि भारत ने न्यूजीलैंड के प्रमुख डेयरी उत्पादों जैसे दूध, पनीर और मक्खन पर लगे टैरिफ में कोई कटौती नहीं की है। उनका कहना है कि इससे किसानों और ग्रामीण समुदायों को नुकसान होगा।
विदेश मंत्री ने गठबंधन सहयोगी नेशनल पार्टी से आग्रह किया कि इस समझौते को जल्दबाजी में अंतिम रूप न दें और पूरे संसदीय सत्र का उपयोग कर बेहतर परिणाम हासिल करें। उन्होंने चेतावनी दी कि संसद में बहुमत सुनिश्चित न होने की स्थिति में भी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए जाने चाहिए।
पीटर्स ने भारतीय नागरिकों के लिए बनाए गए विशेष रोजगार वीजा और छात्रों के कार्य अधिकारों के मुद्दे पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि भारत को न्यूजीलैंड के श्रम बाजार में ऑस्ट्रेलिया और यूनाइटेड किंगडम की तुलना में अधिक पहुंच प्रदान की गई है, जो भविष्य में आव्रजन नीतियों और कार्य नियमों पर असर डाल सकती है।
हालांकि, विदेश मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि उनके विरोध के बावजूद भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने का उनका दृष्टिकोण अपरिवर्तित है। उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य भारत या उसके वार्ताकारों की आलोचना नहीं करना, बल्कि न्यूजीलैंड की गठबंधन सरकार के भीतर उत्पन्न मतभेदों पर ध्यान आकर्षित करना है।