पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में हुई लिंचिंग की सनसनीखेज घटना में अदालत ने सख्त रुख अपनाते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। जंगीपुर की फास्ट-ट्रैक कोर्ट ने एक व्यक्ति और उसके बेटे की भीड़ द्वारा हत्या के मामले में 13 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। यह घटना वक्फ (संशोधन) कानून के विरोध के दौरान भड़की हिंसा से जुड़ी थी। अदालत ने राज्य सरकार को मृतकों के परिजनों को 15 लाख रुपये मुआवजा देने का भी निर्देश दिया है।

यह मामला 12 अप्रैल का है, जब समसेरगंज थाना क्षेत्र के जाफराबाद गांव में हरगोबिंद दास और उनके पुत्र चंदन दास की उनके ही घर में घुसकर पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। उस समय जिले में वक्फ कानून के विरोध में उग्र प्रदर्शन हो रहे थे और हालात को काबू में करने के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती करनी पड़ी थी।

आठ महीने बाद आया फैसला

घटना के करीब आठ महीने बाद अदालत ने 13 आरोपियों को हत्या का दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके साथ ही डकैती के लिए 10 वर्ष, घर में जबरन घुसने के लिए 10 वर्ष और दंगा करने के आरोप में 5 वर्ष की अतिरिक्त सजा भी दी गई है। अदालत ने स्पष्ट किया कि सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी।

अभियोजन पक्ष की दलील

विशेष लोक अभियोजक बिवास चटर्जी ने बताया कि यह देश में लिंचिंग से जुड़े मामलों में गिने-चुने फैसलों में से एक है और पश्चिम बंगाल का पहला ऐसा मामला है, जिसमें दोषियों को सजा सुनाई गई है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इसे ‘दुर्लभ से दुर्लभ’ मामला मानते हुए फांसी की सजा की मांग की थी। अब यह राज्य सरकार पर निर्भर करेगा कि फैसले को लेकर उच्च न्यायालय में अपील की जाए या नहीं।

पीड़ित परिवार असंतुष्ट

फैसले के बाद मृतक हरगोबिंद दास की पत्नी पारुल दास ने असंतोष जताया। उन्होंने कहा कि तीन मुख्य आरोपियों को मृत्युदंड मिलना चाहिए था, क्योंकि घटना में उनकी भूमिका सबसे अहम थी। नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी के साथ मीडिया से बातचीत में उन्होंने हाईकोर्ट जाने की बात कही।

विपक्ष का आरोप

नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि भाजपा पीड़ित परिवार को कानूनी सहायता देगी। उन्होंने आरोप लगाया कि जांच के दौरान तीन मुख्य आरोपियों के खिलाफ मामले को कमजोर किया गया और एसआईटी उन्हें कठोर सजा दिलाने में विफल रही।