हरियाणा सरकार ने जेलों के संचालन में नया प्रयोग किया है। अब पहली बार डिप्टी सुपरिंटेंडेंट (डीएसपी) रैंक के एचपीएस अधिकारियों को जेल अधीक्षक नियुक्त किया गया है।
गृह सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा के आदेश के अनुसार, डीएसपी विवेक चौधरी को भौंडसी (गुरुग्राम) जेल का सुपरिंटेंडेंट बनाया गया, जबकि डीएसपी सत्येंद्र कुमार यमुनानगर जेल के अधीक्षक बने। इससे पहले नरेश गोयल और विशाल छिब्बर इन पदों पर थे, जिन्हें अब अन्य जिम्मेदारियों के लिए स्थानांतरित किया गया है।
हालांकि पंजाब में पहले से ही डीएसपी रैंक के अधिकारियों की ऐसी पोस्टिंग होती रही है, लेकिन वहां के अनुभव बहुत सफल नहीं रहे हैं। पंजाब की जेलों में मोबाइल फोन के जरिए अपराधियों की गतिविधियों और अपराध की घटनाओं में बढ़ोतरी देखी गई है। हरियाणा की जेलों की तुलना में वहां की जेलें पारदर्शिता, सुविधाओं और अनुशासन के मामले में कमतर रहीं हैं।
हरियाणा में यह पहल पुलिस विभाग की ओर से प्रस्तावित की गई थी। पुलिस का तर्क है कि जेलों में मोबाइल फोन मिलने से अपराधी आसानी से अपराध कर पाते हैं। इसलिए कानून-व्यवस्था को मजबूत बनाने के उद्देश्य से डीएसपी रैंक के अधिकारियों को जेल अधीक्षक की जिम्मेदारी सौंपी गई।
इस बदलाव के चलते एक नया सवाल खड़ा हुआ है। डीएसपी थ्री-स्टार होते हैं, जबकि जेल विभाग के अधिकारी वर्दी पर अशोक स्तंभ पहनते हैं। ऐसे में डीएसपी के लिए अधीनस्थ जेल अधिकारियों को सलूट करना और पदानुक्रम का पालन करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
इसके अलावा, पूर्व सरकार द्वारा शुरू की गई जेल विभाग की वर्दी में बदलाव की योजना भी अब पुलिस विभाग द्वारा पुनः प्रस्तावित की गई है। जेल विभाग की ओर से इस प्रस्ताव का विरोध किया गया है, जिससे भविष्य में पुलिस और जेल विभाग के बीच टकराव की संभावना जताई जा रही है।