ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारतीय उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाने के फैसले की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि इस कदम से भारतीय निर्यात, छोटे और मझोले उद्योगों (MSME), और निर्माण क्षेत्र पर गहरा असर पड़ेगा, जिससे सप्लाई चेन बाधित होगी, विदेशी निवेश प्रभावित होगा और रोजगार के अवसर घटेंगे।
गौरतलब है कि ट्रंप ने भारत द्वारा रूस से कच्चा तेल खरीदने के चलते पहले से लागू 25 फीसदी आयात शुल्क के अतिरिक्त 25 फीसदी और शुल्क जोड़ने की घोषणा की है, जिससे कुल टैरिफ अब 50 फीसदी हो गया है। यह नया शुल्क 7 अगस्त से प्रभावी हो गया है।
हैदराबाद से सांसद ओवैसी ने ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए इसे ‘राजनयिक निर्णय नहीं, बल्कि जबरदस्ती’ करार दिया। उन्होंने कहा, “ट्रंप जैसे नेता को वैश्विक व्यापार की समझ नहीं है। उनके इस निर्णय से भारतीय MSME और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को नुकसान होगा, जिससे निवेश घटेगा और बेरोजगारी बढ़ेगी।”
ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी तंज कसते हुए पूछा कि “क्या हमारी रणनीतिक स्वायत्तता को बेचकर चंद पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाना सही है?” उन्होंने यह भी कहा कि पिछली बार जब उन्होंने पूछा था कि अगर ट्रंप 56% टैरिफ लगाएंगे तो क्या प्रधानमंत्री 56 इंच की छाती दिखाएंगे, तब कोई जवाब नहीं मिला।
उधर, ट्रंप द्वारा हस्ताक्षरित कार्यकारी आदेश ‘रूसी सरकार से अमेरिका को खतरे से निपटना’ के तहत यह शुल्क बढ़ोतरी की गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भारत के वस्त्र, समुद्री उत्पाद और चमड़ा क्षेत्र पर विशेष रूप से नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।