रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के प्रमुख समीर कामत ने शनिवार को बताया कि 'ऑपरेशन सिंदूर' भारत की आत्मनिर्भरता, रणनीतिक दूरदर्शिता और स्वदेशी तकनीकी क्षमता का प्रतिनिधित्व करता है। पुणे में रक्षा उन्नत तकनीकी संस्थान (डीआईएटी) के 14वें दीक्षांत समारोह में उन्होंने कहा कि यह अभियान केवल सैनिकों की बहादुरी का उदाहरण नहीं, बल्कि तकनीकी सहयोग की ताकत भी दिखाता है जो उनकी सफलता का आधार था।

कामत ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर भारत की सीमा सुरक्षा के लिए विकसित स्वदेशी तकनीकों का प्रदर्शन था, जिससे यह साबित होता है कि भारत अपने उपकरणों और तकनीक के दम पर सीमाओं की रक्षा सक्षम है। उन्होंने बताया कि इस अभियान में सेंसर, ड्रोन, सुरक्षित संचार व्यवस्था, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सहायता प्रणाली और सटीक हथियारों का इस्तेमाल हुआ।

उन्होंने विशेष रूप से आकाश मिसाइल, मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, डी4 एंटी-ड्रोन प्रणाली, एडब्ल्यूएनसी हवाई चेतावनी और नियंत्रण प्रणाली तथा आकाशतीर प्रणाली का उल्लेख किया, जो डीआरडीओ द्वारा विकसित की गई हैं।

कामत ने कहा कि आक्रामक हथियारों में ब्रह्मोस मिसाइल प्रमुख थी, जिसे सुखोई मार्क 1 से लॉन्च किया गया, जबकि रक्षा प्रणाली में आकाशतीर और एंटी-ड्रोन तकनीक शामिल थीं। सभी सेंसरों को आकाशतीर प्रणाली के माध्यम से जोड़ा गया था, जिससे संभावित खतरों का पता लगाकर उन्हें खत्म करने के लिए उपयुक्त हथियार तैनात किए गए।

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इसी अवसर पर हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएल) के अध्यक्ष डीके सुनील ने कहा कि एयर चीफ मार्शल लक्ष्मण माधव कात्रे के नेतृत्व में भारतीय वायुसेना ने आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में मजबूत आधार तैयार किया है। उन्होंने कहा कि एलसीए तेजस और एएलएच ध्रुव जैसे प्लेटफॉर्म उनकी दूरदर्शिता और भारतीय क्षमताओं पर विश्वास का प्रमाण हैं।

सुनील ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर में इन उन्नत क्षमताओं का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा गया, जिसने भारत की रक्षा तकनीक को वैश्विक स्तर पर प्रदर्शित किया।

उन्होंने यह भी बताया कि डीआईएटी जैसे संस्थानों ने इन तकनीकों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सशस्त्र बलों ने 7 मई को पाकिस्तान और पीओके में आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया था। यह कार्रवाई 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद की गई थी, जिसमें 26 लोगों की बेरहमी से हत्या हुई थी।