नई दिल्ली। आगामी मानसून सत्र के दौरान केंद्र सरकार आठ नए विधेयक संसद में पेश कर सकती है। यह सत्र 21 जुलाई से शुरू होकर 21 अगस्त तक चलेगा। केंद्र सरकार की प्राथमिकताओं में मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की अवधि को बढ़ाने का प्रस्ताव भी शामिल है, जिससे यह संकेत मिलता है कि राज्य में लागू राष्ट्रपति शासन को तत्काल हटाने की कोई योजना नहीं है। संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति शासन की अवधि हर छह महीने में संसद से अनुमोदित करानी होती है। वर्तमान अवधि 13 अगस्त को समाप्त हो रही है।
इसके अतिरिक्त, सरकार मणिपुर से संबंधित 2025-26 की अनुदान मांगों पर विनियोग विधेयक भी पेश करेगी। आयकर विधेयक, 2025 को भी सत्र में लाने की योजना है। यह विधेयक फरवरी में लोकसभा में प्रस्तुत किया गया था और तब इसे प्रवर समिति के पास भेजा गया था। उम्मीद की जा रही है कि समिति मानसून सत्र में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
अस्थायी विधायी सूची में असैन्य परमाणु दायित्व से जुड़े विधेयकों का उल्लेख नहीं है, लेकिन सरकार के पास यह अधिकार है कि वह बिना पूर्व सूची में शामिल किए किसी भी विधेयक को सत्र के दौरान पेश कर सकती है।
अन्य प्रमुख विधेयकों में मणिपुर जीएसटी संशोधन विधेयक, जन विश्वास संशोधन विधेयक, भारतीय प्रबंधन संस्थान संशोधन विधेयक, कराधान विधि संशोधन विधेयक और खान एवं खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक 2025 शामिल हैं।
इसके अलावा, राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक और राष्ट्रीय डोपिंग रोधी (संशोधन) विधेयक भी इसी सत्र में पेश किए जाने की संभावना है।
सरकार का लक्ष्य कुल 16 विधेयकों को पारित कराना है। इनमें छह विधेयक पहले से संसद के दोनों सदनों में लंबित हैं। लोकसभा से पारित तीन विधेयक राज्यसभा में अटके हैं, जबकि तीन लोकसभा में पेश किए जा चुके हैं।
इन विधेयकों में मर्चेंट शिपिंग विधेयक 2024, भारतीय बंदरगाह विधेयक 2025, तटीय नौवहन विधेयक 2025 और लदान बिल विधेयक 2025 जैसे समुद्री कानूनों से जुड़े प्रस्ताव भी शामिल हैं।
सत्र के दौरान पहलगाम आतंकी हमले, न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव समेत कई अन्य अहम मुद्दों पर भी बहस होने की संभावना जताई जा रही है।