बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की बड़ी जीत के बाद राजनीतिक हलकों में इसके कारणों पर चर्चा तेज है। इसी कड़ी में कांग्रेस सांसद कार्ती चिदंबरम ने भी चुनाव परिणामों पर अपना विश्लेषण साझा किया। उन्होंने माना कि एनडीए ने प्रभावी सोशल इंजीनियरिंग और महिला मतदाताओं को साधने वाली योजनाओं के जरिए मजबूत बढ़त हासिल की। साथ ही उन्होंने देश में वंशवाद की राजनीति पर भी खुलकर अपनी राय रखी और तमिलनाडु चुनाव को लेकर कांग्रेस-डीएमके गठबंधन की स्थिति बताई।

एनडीए की जीत को लेकर कार्ती चिदंबरम का विश्लेषण

कार्ती चिदंबरम ने कहा कि कांग्रेस और राजद का वोट प्रतिशत 2020 की तुलना में लगभग स्थिर रहा, लेकिन निर्णायक अंतर लोजपा (रामविलास) ने बनाया। उन्होंने बताया कि पिछली बार अकेले लड़ने वाली लोजपा इस बार एनडीए के साथ आई और 29 सीटों में से 19 पर जीत दर्ज की। पार्टी ने लगभग 5 प्रतिशत वोट हासिल किए, जिसने पूरे समीकरण को बदल दिया।

उन्होंने यह भी कहा कि एनडीए ने कई छोटे, समुदाय-आधारित दलों को साथ जोड़कर अपना सामाजिक आधार मजबूत किया। महिला मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए 10 हजार रुपये सीधे खाते में भेजने की घोषणा भी निर्णायक साबित हुई। कार्ती ने AIMIM के अलग होने और कांग्रेस के पारंपरिक वोट बैंक में सेंध लगाने का उल्लेख भी नतीजों पर प्रभाव डालने वाले कारकों में किया।

वंशवादी राजनीति पर खुलकर बोले कार्ती

वंशवाद के सवाल पर कार्ती चिदंबरम ने कहा कि देश की ज्यादातर राजनीतिक पार्टियां एक न एक परिवार के इर्द-गिर्द केंद्रित हैं। उन्होंने नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, अकाली दल, शिवसेना, टीडीपी, बीजद, डीएमके, टीएमसी और एनसीपी जैसी पार्टियों का उदाहरण देते हुए कहा कि राजनीतिक दल समाज का ही प्रतिबिंब होते हैं।
उन्होंने कहा, "परिवार भारतीय समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा है। आने वाले 25-30 वर्षों में समाज में परिवर्तन आएगा तो राजनीतिक ढांचे में भी बदलाव देखने को मिलेगा।"

तमिलनाडु चुनाव पर किया दावा

तमिलनाडु में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर उन्होंने कहा कि डीएमके इंडी गठबंधन की अगुवाई करेगी और गठबंधन की स्थिति मजबूत है। चिदंबरम ने विश्वास जताया कि अगले वर्ष होने वाले चुनाव में इंडी गठबंधन जीत दर्ज करेगा।