पहल्गाम हमले के बाद भारत द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन ने पाकिस्तान को हर संभव मदद प्रदान की और भारतीय वायु सेना के राफेल जेट्स के खिलाफ जोरदार दुष्प्रचार किया। अमेरिकी कांग्रेस की अधिस्थापित अमेरिका-चीन आर्थिक व सुरक्षा समीक्षा आयोग की ताजा रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है कि चीन ने इंटरनेट पर एआई द्वारा तैयार किए गए विमान के टुकड़े भारतीय राफेल के कथित मलबे के तौर पर पेश किए।
रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन ने फ्रांसीसी कंपनी दासो द्वारा बनाए गए राफेल की तुलना में अपनी जे-10 और जे-35 लड़ाकू विमानों को अधिक प्रभावशाली साबित करने की कोशिश की। इस रणनीति के तहत चीन ने इंडोनेशिया द्वारा राफेल खरीदने के प्रस्ताव को स्थगित करने में भी सफलता हासिल की।
रिपोर्ट में यह दावा भी किया गया है कि ऑपरेशन के दौरान भारतीय सेना के तीन विमान गिराए गए थे, हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हुई है और यह कथन अन्य रिपोर्टों पर आधारित है। चीन ने इसके बाद अपने जे-35 लड़ाकू विमानों की ताकत का जोर-शोर से प्रचार किया और पाकिस्तान के माध्यम से राफेल के खिलाफ दुष्प्रचार अभियान चलाया। इसमें सोशल मीडिया पर फर्जी वीडियो और गेम ग्राफिक्स का इस्तेमाल कर राफेल को नष्ट दिखाया गया।
यहां तक कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी भारतीय विमानों के कथित नुकसान का दावा किया था। हालांकि भारत सरकार ने इसे आधिकारिक तौर पर स्वीकार नहीं किया। 31 मई 2025 को सिंगापुर में कार्यक्रम के दौरान चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने कहा कि ऑपरेशन के पहले दिन कुछ नुकसान हुआ, लेकिन जल्द ही भारतीय सेना ने पाकिस्तान को भारी क्षति पहुंचाई। दासो के सीईओ एरिक ट्रैपियर ने भी मीडिया को बताया कि भारतीय वायु सेना को केवल एक राफेल विमान की हानि हुई, जिसे पाकिस्तान ने नहीं मारा था।
रिपोर्ट के अनुसार, चार दिन के संघर्ष में पाकिस्तान द्वारा चीनी हथियारों का उपयोग करते हुए हासिल की गई सफलता ने चीन की सैन्य तकनीक को विश्व स्तर पर प्रदर्शित किया। 2019 से 2023 तक पाकिस्तान के कुल हथियार आयात का लगभग 82 प्रतिशत चीन ने पूरा किया। जून 2025 में चीन ने पाकिस्तान को जे-35 लड़ाकू जहाज, केजे-500 विमान और बैलिस्टिक मिसाइलें बेचने का प्रस्ताव भी दिया।
रिपोर्ट में भारत और चीन के बीच हाल के संपर्कों का भी उल्लेख है। पिछले वर्ष पीएम मोदी और राष्ट्रपति चिनफिंग की बैठक और सितंबर 2025 में पीएम मोदी की चीन यात्रा के अलावा दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की लगातार बैठकें भी शामिल हैं। आयोग ने कहा कि यह देखना अभी बाकी है कि हाल के समझौते अल्पकालिक कदम हैं या द्विपक्षीय संबंधों में दीर्घकालिक सुधार की दिशा में एक संकेत।