भारतीय तटरक्षक बल के लिए पहले स्वदेशी एयर कुशन व्हीकल (होवरक्राफ्ट) के निर्माण कार्य की शुरुआत गोवा के चौगुले शिपयार्ड में बुधवार को औपचारिक रूप से की गई। यह होवरक्राफ्ट पूरी तरह से देश में ही तैयार किया जा रहा है, हालांकि इसका डिजाइन ब्रिटेन के ग्रिफॉन होवरवर्क मॉडल से प्रेरित है। इसके बावजूद, इसे भारतीय समुद्री परिचालन आवश्यकताओं के अनुसार संशोधित किया गया है, जिससे यह समुद्री सीमाओं की निगरानी और सुरक्षा में बेहतर भूमिका निभा सके।
छह होवरक्राफ्ट के निर्माण का प्रोजेक्ट
इस अवसर पर तटरक्षक बल के उप महानिदेशक, इंस्पेक्टर जनरल सुधीर साहनी भी उपस्थित रहे और उन्होंने निर्माण कार्य का निरीक्षण किया। उल्लेखनीय है कि 24 अक्टूबर 2024 को रक्षा मंत्रालय और शिपयार्ड के बीच छह होवरक्राफ्ट के निर्माण को लेकर समझौता हुआ था।
बल की क्षमताएं होंगी सशक्त
इन होवरक्राफ्ट्स के शामिल होने से तटरक्षक बल की संचालन क्षमता में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी। ये कम गहराई वाले जल क्षेत्रों में भी प्रभावी ढंग से कार्य करने में सक्षम हैं, साथ ही किसी भी आपात स्थिति में तेज प्रतिक्रिया दे सकते हैं। यह परियोजना ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत भारत की समुद्री सुरक्षा में स्वदेशीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
इनकी उच्च गति और बहुउद्देशीय क्षमताएं इन्हें घुसपैठ रोधी अभियानों, मानवीय राहत कार्यों तथा प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में एक उपयोगी संसाधन बनाती हैं। 7,500 किलोमीटर लंबे भारतीय समुद्र तट की सुरक्षा में ये होवरक्राफ्ट ‘फोर्स मल्टीप्लायर’ की भूमिका निभाएंगे। इसके अलावा, वे उन इलाकों में भी आसानी से पहुंच सकते हैं, जहां पारंपरिक पोतों के लिए संचालन संभव नहीं होता।
भारतीय तटरक्षक बल के लिए पहले स्वदेशी एयर कुशन व्हीकल (होवरक्राफ्ट) के निर्माण कार्य की शुरुआत गोवा के चौगुले शिपयार्ड में बुधवार को औपचारिक रूप से की गई। यह होवरक्राफ्ट पूरी तरह से देश में ही तैयार किया जा रहा है, हालांकि इसका डिजाइन ब्रिटेन के ग्रिफॉन होवरवर्क मॉडल से प्रेरित है। इसके बावजूद, इसे भारतीय समुद्री परिचालन आवश्यकताओं के अनुसार संशोधित किया गया है, जिससे यह समुद्री सीमाओं की निगरानी और सुरक्षा में बेहतर भूमिका निभा सके।
छह होवरक्राफ्ट के निर्माण का प्रोजेक्ट
इस अवसर पर तटरक्षक बल के उप महानिदेशक, इंस्पेक्टर जनरल सुधीर साहनी भी उपस्थित रहे और उन्होंने निर्माण कार्य का निरीक्षण किया। उल्लेखनीय है कि 24 अक्टूबर 2024 को रक्षा मंत्रालय और शिपयार्ड के बीच छह होवरक्राफ्ट के निर्माण को लेकर समझौता हुआ था।
बल की क्षमताएं होंगी सशक्त
इन होवरक्राफ्ट्स के शामिल होने से तटरक्षक बल की संचालन क्षमता में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी। ये कम गहराई वाले जल क्षेत्रों में भी प्रभावी ढंग से कार्य करने में सक्षम हैं, साथ ही किसी भी आपात स्थिति में तेज प्रतिक्रिया दे सकते हैं। यह परियोजना ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत भारत की समुद्री सुरक्षा में स्वदेशीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
इनकी उच्च गति और बहुउद्देशीय क्षमताएं इन्हें घुसपैठ रोधी अभियानों, मानवीय राहत कार्यों तथा प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में एक उपयोगी संसाधन बनाती हैं। 7,500 किलोमीटर लंबे भारतीय समुद्र तट की सुरक्षा में ये होवरक्राफ्ट ‘फोर्स मल्टीप्लायर’ की भूमिका निभाएंगे। इसके अलावा, वे उन इलाकों में भी आसानी से पहुंच सकते हैं, जहां पारंपरिक पोतों के लिए संचालन संभव नहीं होता।