नई दिल्ली: लोकसभा में मंगलवार को केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा का नया रूप पेश करने के प्रस्ताव पर सत्तारुढ़ और विपक्ष के बीच तेज बहस और हंगामा देखने को मिला।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने बिल का कड़ा विरोध करते हुए इसे "अफसोसजनक और पीछे की ओर ले जाने वाला कदम" बताया। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी का नाम हटाना राष्ट्रपिता के साथ अन्याय है और यह सिर्फ नाम बदलना नहीं बल्कि ग्रामीण रोजगार योजना की आत्मा और दार्शनिक आधार पर हमला है।
थरूर ने सदन में कहा, "गांधीजी का नाम मनरेगा में रखना उनकी सोच और ग्राम स्वराज पर आधारित योजना के मूल भाव को दर्शाता था। अब उनका नाम हटाना योजना से नैतिक दिशा और ऐतिहासिक वैधता छीनने जैसा है। यह केवल नाम बदलना नहीं है, बल्कि ग्रामीण रोजगार की दृष्टि और सामाजिक-आर्थिक आधार को कमजोर करने जैसा कदम है।"
सांसद ने बिल के नाम पर भी सवाल उठाए और इसे दो भाषाओं में नाम जोड़कर 'वीबी-जी राम जी' बनाने का प्रयास संविधान के अनुच्छेद 348 का उल्लंघन बताया। थरूर ने सदन में कहा कि उनका यह कदम "राम का नाम बदनाम मत करो" के गीत की याद दिलाता है, जिससे सदन में कुछ देर सन्नाटा छा गया और उसके बाद विपक्षी सांसदों ने तालियां बजाईं।
नए बिल का मकसद
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोकसभा में विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड अजीविका मिशन (ग्रामीण) बिल 2025 पेश किया। इसे 'वीबी-जी राम जी बिल' कहा जा रहा है और इसके लागू होने के बाद मनरेगा पूरी तरह बदल जाएगा।
बिल के अनुसार, प्रत्येक ग्रामीण परिवार को सालाना 125 दिन का मजदूरी वाला काम मिलेगा, जबकि पहले यह 100 दिन था। राज्यों को नए कानून आने के छह महीने के अंदर अपनी योजनाओं को अपडेट करना होगा। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने कहा कि यह बिल 'विकसित भारत 2047' के लक्ष्य से जुड़ा आधुनिक ढांचा बनाएगा और इसका फोकस पानी की सुरक्षा, ग्रामीण बुनियादी ढांचा, आजीविका और मौसम की मार से बचाव पर होगा।