प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शनिवार को कारोबारियों अनिल अंबानी के समूह की कंपनी रिलायंस पावर लिमिटेड और दस अन्य पर धनशोधन का आरोपपत्र दाखिल किया। मामला 68.2 करोड़ रुपये की कथित फर्जी बैंक गारंटी के जरिए टेंडर हासिल करने से जुड़ा है।

आरोपियों में कौन-कौन शामिल

आरोपपत्र में रिलायंस पावर के पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी अशोक कुमार पाल, रिलायंस पावर की सहायक कंपनियां रिलायंस एनयू बीईएसएस लिमिटेड और रोसा पावर सप्लाई कंपनी लिमिटेड, ओडिशा की शेल कंपनी बिस्वाल ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड और उसके प्रबंध निदेशक पार्थ सारथी बिस्वाल, बायोथेन केमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड और ट्रेड फाइनेंसिंग कंसल्टेंट अमरनाथ दत्ता का नाम शामिल है।
इसके अलावा रविंदर पाल सिंह चड्ढा, मनोज भाई पोंगडे और पुनीत नरेंद्र गर्ग भी आरोपियों की सूची में हैं। आरोपपत्र शुक्रवार को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में पीएमएलए (धनशोधन निरोधक कानून) के तहत दाखिल किया गया।

68 करोड़ की बैंक गारंटी और टेंडर विवाद

यह मामला सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SECI) के एक टेंडर से जुड़ा है। रिलायंस एनयू बीईएसएस लिमिटेड की ओर से जमा की गई बैंक गारंटी फर्जी पाई गई। जांच में ईडी ने पाया कि रिलायंस समूह के अधिकारी इस फर्जी गारंटी के बारे में जानते थे। बैंक गारंटी को एसबीआई के जाली ईमेल आईडी से मंजूरी दी जा रही थी।

जब SECI ने फर्जीवाड़ा पकड़ा, तो रिलायंस समूह ने उसी दिन आईडीबीआई बैंक से असली गारंटी जारी करवाई। लेकिन SECI ने तय समय सीमा के बाद इसे स्वीकार नहीं किया। ईडी ने कहा कि रिलायंस एनयू बीईएसएस दूसरी सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी (एल-2 बिडर) थी। इसलिए टेंडर बचाने के लिए रिलायंस के अधिकारियों ने कोलकाता की एसबीआई शाखा से फर्जी विदेशी बैंक गारंटी की नई मंजूरी दिलाने का प्रयास भी किया।

अनिल अंबानी का कथित संबंध

रिलायंस समूह ने पहले कहा था कि अनिल अंबानी पिछले तीन साढ़े साल से रिलायंस पावर के बोर्ड में नहीं हैं और इस मामले से उनका कोई संबंध नहीं है। कंपनी ने खुद को इस मामले में 'धोखाधड़ी, जालसाजी और साजिश' का शिकार बताया और 7 नवंबर 2024 को इसे शेयर बाजार में सार्वजनिक किया था।