सिंधु जल संधि को स्थगित करने के बाद केंद्र सरकार ने एक अहम पहल करते हुए जम्मू-कश्मीर के स्वालकोट में 1856 मेगावाट की जलविद्युत परियोजना के निर्माण हेतु निविदा जारी कर दी है। यह परियोजना पाकिस्तान की लगातार आपत्तियों के कारण वर्षों से अटकी हुई थी। अब भारत सरकार की इस कार्रवाई को पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
राष्ट्रीय जलविद्युत निगम (NHPC) ने इस बहुप्रतीक्षित परियोजना के लिए ई-टेंडर आमंत्रित किया है। परियोजना से जुड़ी अधिसूचना जारी कर दी गई है और इच्छुक पक्ष 10 सितंबर तक निविदा जमा कर सकेंगे। स्वालकोट पनबिजली परियोजना जम्मू से लगभग 120 किलोमीटर और श्रीनगर से करीब 130 किलोमीटर दूर रामबन जिले के सिधू गांव में स्थापित की जाएगी। इस परियोजना को सिंधु नदी के जल संसाधनों के अधिकतम उपयोग की दिशा में एक निर्णायक कदम के रूप में देखा जा रहा है।
गौरतलब है कि भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद सिंधु जल संधि पर अमल को रोक दिया था। इसके बाद से इस परियोजना को आगे बढ़ाने की प्रक्रिया तेज़ हुई है।
जयशंकर का कांग्रेस पर हमला
इससे पहले, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सिंधु जल संधि को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि यह संधि अपने आप में अनोखी थी, जहां एक देश ने अपनी ही धरती से बहने वाली नदी के जल पर अधिकार न रखते हुए अधिकतर पानी दूसरे देश को दे दिया।
जयशंकर ने संसद में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के उस बयान का हवाला दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि संसद को इस बात का आकलन नहीं करना चाहिए कि पाकिस्तान को कितनी मात्रा में पानी या धन दिया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि उस समय के प्रधानमंत्री ने यह संधि ‘पाकिस्तानी पंजाब’ के हित में की थी और भारतीय किसानों के हितों—चाहे वे कश्मीर, पंजाब, राजस्थान या गुजरात के हों—का उल्लेख तक नहीं किया।
जयशंकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अनुच्छेद 370 को हटाए जाने और सिंधु जल संधि को निलंबित करने के फैसले को नेहरू काल की “भूलों को सुधारने की दिशा में कदम” बताया।