कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में एक सेवानिवृत्त पति को निर्देश दिया है कि वह अपनी पूर्व पत्नी को पेंशन का 60 प्रतिशत हिस्सा गुजारा भत्ते के रूप में प्रदान करे। अदालत ने यह राशि लगभग 25,000 रुपये प्रतिमाह तय की है, जो आयकर विवरणी (ITR) के अनुसार पेंशन के कुल भाग का 60 प्रतिशत है। इसके अलावा, यह राशि प्रत्येक दो वर्ष में 5% की दर से बढ़ेगी।

पूर्व पति की दलील थी कि यह भत्ता उस समय निर्धारित हुआ था, जब वह यूको बैंक में कार्यरत था और उसका वेतन ₹1.30 लाख मासिक था। लेकिन अब, सेवानिवृत्ति के बाद उसे केवल ₹42,000 की पेंशन प्राप्त होती है, ऐसे में ₹25,000 मासिक गुजारा भत्ता देना असंभव है।

पहले किया गया था भत्ते में संशोधन

इस मामले की शुरुआत 2023 में मजिस्ट्रेट अदालत में हुई थी, जहां पत्नी ने स्वीकार किया कि उसका पति अब सेवानिवृत्त हो चुका है और वह उसी के घर में निवास कर रही है। साथ ही, उसने यह भी बताया कि उसे राज्य सरकार की योजनाओं जैसे ‘लक्ष्मी भंडार’ और ‘स्वास्थ्य साथी कार्ड’ का लाभ मिल रहा है।

इन तथ्यों और कानूनी मिसालों के आधार पर मजिस्ट्रेट अदालत ने पहले से निर्धारित ₹30,000 की मासिक भरण-पोषण राशि को घटाकर ₹20,000 कर दिया था। यह आदेश 30 दिसंबर 2023 को पारित हुआ।

हाईकोर्ट में पत्नी की अपील पर बदला फैसला

वर्ष 2024 में पत्नी ने इस निर्णय को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का रुख किया। उनका तर्क था कि पति ने अपनी वित्तीय स्थिति को गलत ढंग से पेश किया है और उसने सेवानिवृत्ति लाभ जैसे भविष्य निधि, ग्रेच्युटी, अवकाश नकदीकरण और शेयर बाजार से आय का विवरण स्पष्ट नहीं किया है।

पत्नी की ओर से यह भी कहा गया कि एक वरिष्ठ बैंक अधिकारी के रूप में पति को मिले लाभों को नजरअंदाज किया गया है। वहीं, पति की ओर से यह कहा गया कि वह केवल ₹42,000 की मासिक पेंशन पर निर्भर है और अधिक भत्ता देना संभव नहीं है।

इन सभी तर्कों पर विचार करने के बाद हाईकोर्ट ने माना कि पत्नी को सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार है, और पति को ₹25,000 मासिक गुजारा भत्ता देना होगा।