विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ ने निर्णय लिया है कि वह विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया के विरोध में संसद और सड़क दोनों पर आक्रामक रुख अपनाएगा। सूत्रों के अनुसार, विपक्ष आने वाले सप्ताह में चुनाव आयोग के मुख्यालय तक विरोध मार्च निकालने की रणनीति पर काम कर रहा है। गुरुवार को गठबंधन की एक बैठक में इस मुद्दे पर गहन चर्चा हुई, जिसमें सभी दलों ने एक स्वर में संसद के मानसून सत्र में इसे प्रमुखता से उठाने की मांग की।
विपक्ष का आरोप: लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश
विपक्ष का कहना है कि बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण अभियान के दौरान नागरिकता से जुड़े दस्तावेजों की मांग की जा रही है, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर और हाशिये पर खड़े लोगों को मतदाता सूची से बाहर किए जाने का खतरा है। विपक्ष इस अभियान को ‘वोटबंदी’ और ‘वोट की लूट’ करार देते हुए इसे जनसमर्थन का मुद्दा बनाने की तैयारी में है।
विपक्षी नेताओं की बैठक में बनी रणनीति
इस बैठक में राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, टीएमसी के डेरेक ओ’ब्रायन, डीएमके के टी.आर. बालू और तिरुचि शिवा, सपा के रामगोपाल यादव, एनसीपी (एसपी) की सुप्रिया सुले, सीपीआई (एमएल) लिबरेशन के राजा राम सिंह, सीपीएम के जॉन ब्रिटास और सीपीआई के पी. संतोश कुमार शामिल हुए। सभी नेताओं ने इस प्रक्रिया को लोकतांत्रिक अधिकारों के खिलाफ बताते हुए तीव्र विरोध जताया।
चुनाव आयोग दफ्तर के घेराव की योजना
टीएमसी नेता डेरेक ओ’ब्रायन पहले ही संकेत दे चुके हैं कि आयोग कार्यालय के घेराव का विकल्प खुला है। अब इसे लेकर विपक्ष गंभीरता से विचार कर रहा है और संभावित कार्यक्रम तय किया जा रहा है।
संसद में भी लगातार विरोध प्रदर्शन
इस विषय को लेकर संसद के दोनों सदनों में विपक्ष लगातार सरकार को घेर रहा है। बार-बार हुए विरोध और नारेबाज़ी के चलते कार्यवाही को कई बार स्थगित करना पड़ा है। विपक्ष का कहना है कि यह प्रक्रिया संविधान के मूल सिद्धांतों के विपरीत है और इससे हज़ारों पात्र नागरिक मतदान से वंचित हो सकते हैं।